AQI यानी हवा की गुणवत्ता का सूचकांक। ऐसा पैमाना जो सुधरने के बजाय दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में लगातार हर साल बिगड़ता जा रहा है। सर्दियां शुरू होते ही लोगों के चेहरे दिखने बंद हो जाते हैं. चलते-फिरते मास्क नजर आते हैं. गर्मी के साफ आसमान से लेकर सर्दियों के धुंधले आकाश तक दिल्ली की हवा बिगड़ती चली जा रही है।
दिल्ली-एनसीआर में कई इलाकों का AQI 400 के ऊपर था। जिसकी वजह से AQI की कैटेगरी को वेरी पूअर से सीवियर यानी बेहद खराब से गंभीर में डाल देते हैं। लोगों ने मास्क लगाने शुरू कर दिए है ताकि वे प्रदूषण से खुद को बचा सके।
अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में अचानक से बढ़े इस AQI को लेकर लोगों, वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, प्रशासन और सरकार की चिंता बढ़ती जा रही है। दीवाली पर इसके बढ़ने की आशंका 100 फीसदी है. जिसका कारण है पटाखे।
राजधानी के जहरीले होने की बड़ी वजह दिल्ली की हवा में पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) की मात्रा का बढ़ना भी है। ये वायुमंडल में गाड़ियों से निकले धुएं, उद्योगों, पराली जलाने और अन्य तरह के व्यवसाय जहां से धुआं निकलता है उनकी वजह से होता है।
हर साल पंजाब और हरियाणा में जैसे ही ठंड का मौसम आने लगता है, पिछली फसलों के बचे हुए हिस्सों को जलाया जाता है, इन्हें पराली जलाना कहते हैं। इस बार माना जा रहा है कि फसल खेती का सीजन अपने तय समय से बढ़ गया है. इसलिए इन राज्यों में खेतों में पराली जलाने की संख्या बढ़ी हुई है।
दिल्ली की हवा में जहर घोलने में बड़ा योगदान हवा का भी है, यानी हवा की दिशा (Wind Direction). हवा की दिशा, गति और नमी ये तीनों फैक्टर दिल्ली-एनसीआर के के फेफड़ों में जहर भर देते हैं।मॉनसून के बाद और सर्दियों से पहले हरियाणा-पंजाब की तरफ से हवा दिल्ली की तरफ चलती है. ये हवा पाकिस्तान की तरफ से आती हां।
दिल्ली की सर्दियों में लगातार होने वाले तापमान के बदलाव की वजह से भी प्रदूषण बढ़ जाता है। इसे टेंपरेचर इन्वर्शन (Temperature Inversion) कहते हैं। इसकी वजह से ठंडी हवा के ऊपर गर्म हवा की परत बन जाती है जिससे सारे के सारे प्रदूषणकारी तत्व सतह पर ही रुक जाते हैं।
दिल्ली में गाड़ियों की संख्या भी बहुत ज्यादा है। दिल्ली में 25 फीसदी PM2.5 उत्सर्जन गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण की वजह से होता है। दिल्ली के अंदर और आसपास बनी इंडस्ट्री से निकलने वाले गैस और केमिकल्स की वजह से भी वायुमंडल में बदलाव आता है और प्रदूषण बढ़ता है।
सूखे इलाकों से आने वाली सूखी हवा के साथ रेत के कण, दिवाली के दौरान पटाखों से निकलने वाले केमिकल और उत्सर्जन, घरेलू बायोमास का जलाना भी सर्दियों में में प्रदूषण को बढ़ा देता है। IIT कानपुर की स्टडी के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में 17-26 फीसदी PM उत्सर्जन बायोमास के जलाने से होता है।