4 अक्टूबर से केंद्रीय बैंक RBI की तीन दिनों की एमपीसी मीटिंग शुरू हुई है और इसमें लिए गए कुछ खास निर्णयों को लेकर ही गवर्नर शशिकान्त दास घोषणाएँ करने वाले है। अनुमान है कि इस वर्ष रेपो रेट में इजाफा जो सकता है। आज रिज़र्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी की समीक्षा मीटिंग में होने वाले निर्णयों की घोषणा थोड़ी देर में हो जाएगी।
इन तीन दिनों की मीटिंग में रिज़र्व बैंक द्वारा निश्चित किये गए दायरे से ऊपर बनी महँगाई दर, जीडीपी वृद्धि एवं क्रूड आयल के रेट सहित दूसरे जरुरी मामलो पर वार्ता हुई है। जानकार अनुमान लगा रहे है कि इस बार भी रेपो रेट अपरिवर्तित रहेगी।
रेपो रेट में वृद्धि की कम सम्भावना
ये मीटिंग आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास (Shaktikanta Das) को अध्यक्ष नियुक्त करके हुई है और इस मीटिंग पर ऋण लेने की योजना बनाने वालो की सर्वाधिक निगाह रहने वाली है। इसकी वजह है कि इस मीटिंग में रेपो रेट को लेकर कुछ खास फैसले होंगे जिसका (Repo Rate) सीधा प्रभाव लिए जाने वाले लोन पर पड़ेगा।
यदि RBI की तरफ से रेपो रेट में वृद्धि की घोषणा होती है तो लिए जाने वाले लोने की EMI में भी वृद्धि होगी। किन्तु पॉलिसी रेट के कम होने पर इसमें कमी आएगी। रिज़र्व बैंक महँगाई पर नियन्त्रण लाने को रेपो रेट में परिवर्तन कर सकती है।
निश्चित दायरे से ऊपर की महँगाई न हो
अभी तो देशभर में महँगाई की दर आरबीआई के द्वारा निश्चित किये दायरे से ऊपर ही जा रही है। हालाँकि इस दर में जुलाई महीने के बाद अगस्त में कमी जरूर आई है। ध्यान दें कि जुलाई माह में रिटेल की महँगाई दर (CPI) 7.44% के लेवल पर रही है। किन्तु अगस्त में ये महँगाई दर कम होकर 6.83% पर आई थी।
रिज़र्व बैंक ने देशभर में महँगाई को 2 से 6 प्रतिशत के बीच में रखने का टारगेट बनाया है। जुलाई माह की तुलना में अगस्त में खुदरा महँगाई में कमी आने के पीछे खाने की चीजों की महँगाई दर में हुई कमी रही थी। यह 10 प्रतिशत से भी नीचे (9.94%) आ चुकी थी।
वर्तमान समय में यह रेपो रेट है
इस समय देश में रेपो रेट की दर 6.50% है किन्तु जानकारों के अनुमान में इस बार रेपो रेट में वृद्धि होने की कम ही सम्भावनाएँ दिख रही है। इसका अर्थ यह हुआ कि RBI चौथी बार भी रेपो रेट को स्थिर रखेगा।
पिछले वर्ष भी आरबीआई ने ऊँची महँगाई की दर को नियंत्रित करने को लगातार रेपो रेट में वृद्धि की थी। पिछले साल के मई महीने में रेपो रेट 4% रही थी किन्तु इस साल के फरवरी में ये 6.50% पर आ गई। ये अभी तक ऐसे ही बनी हुई है।

प्रत्येक 2 महीने में एमपीसी मीटिंग
रिज़र्व बैंक प्रत्येक दो माह में MPC मीटिंग आयोजित करता है और इस मीटिंग में महँगाई एवं जीडीपी वृद्धि सहित ग्लोबल मार्किट में क्रूड आयल के मूल्य में होने वाली वृद्धि पर गंभीरता से चर्चा होती है। अभी क्रूड आयल के मूल्य बीते 10 माह में ऊँचे स्तर पर पहुँचे है।
रिजर्व बैंक का उदारवादी नजरिया
जानकार आरबीआई के द्वारा रेपो रेट को स्थिर रखे के निर्णय की सराहना कर रहे है। उनके मुताबिक़ केंद्रीय बैंक चौथी दफा इसको (Repo Rate) अपरिवर्तित रखकर अपना उदारवादी नजरिया पेश करेगा। केंद्रीय बैंक का प्रयास महँगाई को नियंत्रित करना है। आरबीआई का ध्यान भविष्य के फेस्टिवल सीजन पर भी रहेगा।
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RBI गवर्नर ने इस समय बैंको की सही हालत के बारे में बताते हुए भारत को आने वाले समय में दुनिया का ग्रोथ इन्जन बनने की बात भी कही है।