मध्यप्रदेश (MP) सरकार की प्राकृतिक कृषि विकास योजना (Prakratik Krishi Vikas Yojana) के माध्यम से पेस्टीसाइडरहित कृषि, स्वस्थ मृदा और पर्यावरण- संरक्षण आदि उद्देश्यों को पूरा करना है। इससे जैविक और प्राकृतिक कृषि में वृद्धि होगी। हम जानते है कि देश के किसानों को लाभान्वित एवं विकसित करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएँ कार्यान्वित हो रही है। इसी क्रम में एक और योजना के माध्यम से मध्यप्रदेश के किसानों को सरकार की ओर से प्रशिक्षण और गौ पालन के लिए अनुदान राशि दी जाएगी।
योजना के अंतर्गत प्रदेश में प्रथम चरण में सभी जिलों के 100-100 गाँवों को चुना जायेगा। इन सभी गाँवों में से 5 किसानों को चुनकर उन्हें गाय पालन करने के लिए अनुदान राशि भी दी जाएगी।
5200 गाँवों में प्राकृतिक खेती शुरू होगी
प्रदेश के हर एक जिले योजना को कार्यान्वित करने के लिए 100-100 गाँवों का चयन होना है। इस तरह योजना में प्रदेश के लगभग 5,200 गाँवों को सम्मिलित किया जाना है। इन चयनित गाँवों में से 5 किसानों को चुना जायेगा। इस तरह से प्रदेश में 26 हजार किसानों को गाय पालन करने के लिए अनुदान मिलेगा।
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गौ पालन के लिए किसानों को अनुदान मिलेगा
योजना में सम्मिलित होने वाले किसानों को गाय पालन के लिए अनुदान राशि दी जाएगी। योजना में सिर्फ उन्ही कृषकों को लाभार्थी बनाया जायेगा जिनके पास देशी गाय होगी। प्रदेश के सभी वर्गों के कृषकों को कम से कम 1 एकड़ जमीन पर प्राकृतिक खेती करने की शर्त को पूरा करना होगा। शर्त को पूर्ण करने वाले किसानों को मात्र एक गाय के लिए 900 रूपये प्रतिमाह की अनुदान राशि प्रदान की जायेगी। इस प्रकार से प्रतिवर्ष लाभार्थी किसान को 10,800 रुपयों को अनुदान राशि मिलेगी। योजना में चयनित किसानों को केवल एक गाय का ही अनुदान मिलने का प्रावधान है।
प्राकृतिक खेती में गाय का महत्व
प्राकृतिक खेती में गाय का विशेष भूमिका होती है। प्राकृतिक खेती करने के लिए जरुरी जीवामृत और घनजीवामृत को देशी गाय से ही बनाया जा सकता है। देश के सभी राज्यों की सरकारे अपने स्तर पर प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने में प्रयासतरत है। इसके लिए किसानों को लाभार्थी बनाकर प्रशिक्षण एवं अनुदान दिया जाता है।
योजना के कार्यान्वन की जानकारी
मध्यप्रदेश में जिलों की संख्या 52 है। पहले चरण में हर जिले के 100 गांव को चुना जायेगा और प्रोत्साहन की विशेष गतिविधियाँ चलाई जाएगी। इन सभी गाँवों में प्राकृतिक खेती सम्बन्धी गतिविधियाँ शुरू होगी। इसका वातावरण बनाने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन होगा। नर्मदा नदी के दोनों तरफ प्राकृतिक कृषि को प्रोत्साहन दिया जायेगा।
योजना की सफलता के लिए प्रत्येक गाँव में एक किसान मित्र और किसान दीदी की उपलब्धता रहेगी। और प्रत्येक विकासखंड में 5 पूर्णकालीन कार्यकर्त्ता नियुक्त रहेंगे। ये प्राकृतिक खेती के मुख्य प्रशिक्षक होंगे।
प्राकृतिक खेती से मिलने वाला लाभ
- इस खेती में प्रयुक्त होने वाली खाद को किसान स्वयं केचुएं खाद, हरी खाद आदि से तैयार कर सकते है।
- इसकी खाद सस्ती और स्वस्थ कृषि उत्पाद देने वाली होती है।
- खेत की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होगी और सिचाई अंतराल के बढ़ने से पानी की बचत हो सकेगी।