शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में पूजा-दान करने से व्यक्ति के पितृ दोष ख़त्म होते है। जिंदगी में लम्बे समय से आ रही समस्या को दूर करने के लिए पितृ पक्ष (Pitru Paksha) की पूजा काफी जरुरी हो जाती है। ग्रहो के स्वामी सूर्य कन्या राशि में पहुँचने पर महालय पक्ष में पितरो को काफी जोरो की भूख लग जाती है।
इसी समय पर धर्मराज के निर्देशानुसार वे सभी लोग धरती पर आ जाते है और अपने वन्सजो से किये जाने वाले श्राद्ध-तर्पण को लेते है। इन सभी के बदले में आशीर्वाद देकर पितृ अमावस्या को ही वापिस प्रस्थान करते है। इस वर्ष 29 सितम्बर से 14 अक्टूबर तक पितृ पक्ष रहने वाला है।
पितृ पक्ष में दान की जाने वाली वस्तुएँ
शास्त्रों के अनुसार इस समय काल में कुछ वस्तुओ के दान से पितृ दोष मिटते है और जिंदगी की विभिन्न परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। इन्ही में से कुछ वस्तुएँ इस प्रकार से है –
- चाँदी की वस्तुएँ – पितृ पक्ष की समय में चाँदी की वस्तुओ का दान सर्वाधिक अच्छा माना गया है चूँकि इससे पितरो की आत्माओं को शान्ति मिलती है और उनके आशीष ही पूरे परिवार को मिल जाते है।
- काले तिल – पूजा के साथ काले तिलो का दान काफी जरुरी है। ऐसा कहा जाता है कि यदि किसी अन्य वस्तु के दान की सामर्थ न हो तो काले तिल का दान तो कर ही देना चाहिए।
- गुड़ दान – इसके दान से पितृ को खास संतोष मिलता है और उनकी आत्मा शांति पाती है। इसके अतिरिक्त घर में सुख-शान्ति भी आती है। घर के झगडे को दूर करने के लिए गुड़ का दान करना काफी अच्छा मन गया है।
- अन्न दान करना – खाने के सामन को इस समय में दान करना महादान कहा गया है। ऐसा करने से पितरो की तृप्ति होती है और दान में गेंहू-चावल देना सबसे अच्छा माना गया है।
- नमक दान करना – नमक को लेकर कहते है कि जिस भी व्यक्ति का नमक खाओ उसकी वफादारी करो। नमक का दान करके ही पितृ पक्ष की पूजा पूर्ण हो सकती है।
- जूते-चप्पलो का दान – जूते-चप्पल दान करने से भविष्य की परेशानियों से बचाव होता है। यदि कुण्डली में कोई दोष हो टी वह भी दूर होता है। इस प्रकार से घर में ख़ुशी एवं शान्ति भी बनी रहती है।
- गाय के घी का दान – सनातन धर्म में गाय को माँ का दर्ज़ा मिला है और इसकी पूजा करने से काफी समस्याओ की समाप्ति तक हो जाती है। इस दौरान गाय के घी को दान में देना भी काफी लाभकारी रहता है।
पितृ पक्ष में ये चीजे न लें
- इस समय में तामसिक खाना जैसे लहसुन, प्याज इत्यादि को नहीं लेना है।
- चने एवं इसके सत्तू अथवा इसी से बनी मिठाइयों को भी खाना नहीं है।
- मसूर दाल एवं कोदा को भी इस समय पर नहीं लेना है।
- भूलकर भी मांस-शराब इत्यादि को नहीं लेना है।
यह भी पढ़ें :- Bageshwar Dham Sarkar Chhatarpur कैसे जाये- बागेश्वर धाम कहाँ है पूरी जानकारी

पूजन के बाद इनका भाग लगाएं
- पहला भाग गाय का रखे – गाय को सनातन धर्म में काफी मान्यता मिली है और इसके सभी अंगो में देवी-देवताओ का वास कहते है। शास्त्रानुसार गाय के द्वारा ही बैकुण्ठ में दर्शन का अवसर मिलती है और मानव को वैतरणी पार करवाती है। पितृपक्ष में तो गाय को भोजन का पहला भाग देने से व्यक्ति के सुखो का मार्ग सिद्ध होता है।
- दूसरा भाग कौवे को दें – दूसरे भाग को कौवे को देना है चूँकि कथा के हिसाब से सागर मन्थन के वक्त कौवे अमृत का पान करके अमर हो गए थे। तभी से ये साक्षी होकर मानव के कर्मो का हिसाब ईश्वर तक पहुँचाते है। इनको पितरो का संदेशवाहक भी कहा गया है।
- तीसरे भाग बिल्ली को दें – बिल्ली माँ लक्ष्मी का स्वरूप मानी गई है और ये लोगो की मंशा को माता लक्ष्मी के पास तक लेकर जाती है। पितृ के मोक्ष का रास्ता सरल करने के लिए भी बिल्ली को भोजन देना अच्छा माना गया है।