Personal Loan: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में एक बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके अंतर्गत बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) द्वारा प्रदान किए जाने वाले पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे असुरक्षित कर्जों के नियमों को अधिक सख्त बनाया गया है। इस निर्णय के अनुसार, इस प्रकार के कर्जों के जोखिम भार में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
इस निर्णय का समर्थन करते हुए, मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को बताया कि RBI का यह कदम पर्सनल लोन के लिए नियमों को सख्त करने के लिहाज से सही है। मूडीज ने यह भी जोड़ा कि हाल के कुछ वर्षों में असुरक्षित बैंक लोन में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसके कारण वित्तीय संस्थानों को आर्थिक या ब्याज दरों में होने वाले अचानक परिवर्तनों की स्थिति में लोन लागत में संभावित वृद्धि का सामना करना पड़ता है।
RBI के इस निर्णय से भारतीय वित्तीय बाजार में अधिक स्थिरता और दीर्घकालिक सुरक्षा की उम्मीद की जा रही है, जो आर्थिक और ब्याज दर संबंधी झटकों के प्रति संस्थानों की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करेगा। इस पहल से भारतीय बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र में और अधिक सतर्कता और विवेकपूर्ण प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
मूडीज का भारतीय ऋण बाजार पर महत्वपूर्ण बयान
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने हाल ही में भारतीय ऋण बाजार को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि असुरक्षित लोनों के लिए जोखिम-भारित परिसंपत्तियों के जरिए हामीदारी मानदंडों को कठोर करना एक सही और आवश्यक कदम है। इसके अनुसार, ऋणदाताओं को अब अपनी नुकसान से निपटने की क्षमता में सुधार के लिए अधिक पूंजी आवंटित करने की जरूरत होगी।
असुरक्षित लोन को लेकर दिया बयान
इस बयान में भारतीय बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र के असुरक्षित लोन खंड की तेजी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा पर भी प्रकाश डाला गया है। मूडीज ने उल्लेख किया कि हाल के वर्षों में इस खंड में कई नए प्रवेशकों सहित बैंक, नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFCs) और फिनटेक कंपनियां इस श्रेणी में आक्रामक रूप से अपना लोन पोर्टफोलियो बढ़ा रही हैं।
मूडीज का यह बयान भारतीय बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र में ऋण प्रबंधन और जोखिम नियंत्रण की दिशा में एक अहम और विचारणीय दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इससे भारतीय वित्तीय बाजार में अधिक स्थिरता और वित्तीय सुरक्षा की उम्मीद बढ़ती है, जो आर्थिक विकास के लिए अनिवार्य है।
पर्सनल लोन में वृद्धि और RBI के निर्णय का विश्लेषण
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस और एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की रिपोर्टों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में भारत में पर्सनल लोन की मांग में लगभग 24 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इसके अलावा, ‘क्रेडिट कार्ड’ लोन में भी औसतन 28 प्रतिशत का उछाल आया है, जो समग्र बैंकिंग सेक्टर की ऋण वृद्धि दर, जो करीब 15 प्रतिशत है, से कहीं अधिक है।
भारतीय रिजर्व बैंक का हालिया फैसला, जिसमें उन्होंने असुरक्षित व्यक्तिगत कर्जों के जोखिम भार को बढ़ाने का निर्णय लिया है, को वित्तीय विशेषज्ञों द्वारा सही कदम माना जा रहा है। इससे बैंकों को उच्च जोखिम वाले ऋणों के लिए अधिक पूंजी आवंटित करने की जरूरत होगी, जिससे वे नुकसान से बेहतर तरीके से निपट सकेंगे।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने यह भी उल्लेख किया है कि इस नए नियम से उपभोक्ता ऋण की गुणवत्ता और उसके मानदंड मजबूत होंगे, जिससे आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही, यह ऋण वृद्धि को कम करने और कमजोर वित्तीय संस्थानों के लिए पूंजी जुटाने की जरूरत को बढ़ाएगा।
इन नियमों के परिणामस्वरूप, ऋण वितरण में एक संतुलित और सावधानीपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जाएगा, जो अंततः वित्तीय बाजार की स्थिरता और ग्राहकों की सुरक्षा में योगदान करेगा।