नोबल पुरस्कार पाने वाली रसायन खोज से कंप्यूटर, मेडिकल एवं अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि मिलेगी

रसायन क्षेत्र में नोबल प्राइज़ की घोषणा हो चुकी है और इस वर्ष का यह इनाम (Nobel Prize) साझा रूप से मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट के मौंगी जी. बावेंडी, लुइस ई.ब्रुस (कोलंबिया युनिवर्सिटी) एवं एलेक्सी आई. एकिमोव (नैनोक्रिस्टल तकनीक) को मिला है। उनको ये इनाम क्वाण्टम डॉट्स की खोज एवं संश्लेषण के कार्य में मिला है।

बुधवार को रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ साइंस ने इस पुरस्कार की घोषणा की थी। इन तीनो की ये खोज काफी महत्वपूर्ण है चूँकि इसमें कंप्यूटर, टेलीविजन एवं मेडिकल सहित स्पेस इत्यादि के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोल दिए है। चयन कमेटी के अध्यक्ष जोहान एक्टिवस्ट के अनुसार, क्वाण्टम डॉट्स (Quantum Dots) में बहुत से आकर्षक एवं असामान्य गुण है।

क्वाण्टम घटनाओ पर खोज हुई

इसके विशेष बात ये है कि उनके साइज़ के अनुसार विभिन्न रंग भी देखने को मिलते है। केमिस्ट्री के मूल सिद्धांतों में से एक है कि तत्व के गुण उसमे मौजूद इलेक्ट्रान की संख्या पर निर्भर करते है। किन्तु जब तत्व नैनो-आयाम से होकर जाता है तो क्वाण्टम घटनाएँ घटित होती है जिससे तत्व के साइज़ निर्धारित होता है।

इस साल के केमिस्ट्री के नोबल विजेताओं के द्वारा उन छोटे पार्टिकल की खोज की गई है जिनसे उनके क्वाण्टम गुण का निर्धारण हो सकता है। यही पार्टिकल ‘क्वाण्टम डॉट्स’ के नाम से जाने जाते है जोकि नैनो तकनीक में काफी महत्व के हो जाते है।

1980 की खोज को आगे बढ़ाया

नैनोडायमेंशन के इस सिद्धांत को सच के धरातल पर लाना नामुमकिन ही कहा जाता था। किन्तु 1980 के दौर में एलेक्सी एकिमोव नामक वैज्ञानिक ने एक रंगीन काँच के ऊपर साइज़ पर आधारित कवान्टम इफ़ेक्ट (Quantum Effect) को दिखाया।

इसी समय लुई ब्रूस नामक विज्ञानी ने लिक्विड में भी स्वतंत्र रूप से तैरने वाले पार्टिकल में भी क्वाण्टम इफेक्ट सिद्ध किये है। इन दोनों विज्ञानिको के सिद्धांत की मदद से 1993 में बावेंडी ने क्वाण्टम डॉट्स का केमिकल प्रोडक्ट तैयार करके दिखाया।

इस खोज का यहाँ काम होगा

अब सवाल यह है कि इस खोज का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है। दरअसल नैनो तकनीक के ये सर्वाधिक छोटे घटक कंप्यूटर, टीवी स्क्रीन, मेडिकल, डिफेंस एवं स्पेस सेक्टर में प्रयोग होते है। LED बल्ब के माध्यम से ये पार्टिकल हमको घरो में रौशनी देते है। यही पार्टिकल ट्यूमर से ऊतकों को हटाने की सर्जरी में मार्गदर्शन करते है।

इनकी खोजे आने वाले समय में इंसानो के मददगार रिसोर्सेज का माध्यम भी बनेगी। शोध करने वालो के अनुसार आने वाले समय में क्वान्टा डॉट्स के प्रयोग से लचीले इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मॉल सेंसर एवं सेल-एन्क्रिप्टेड क्वाण्टम कम्पुनिकेशन में मदद मिलेगी।

तीनो वैज्ञानिको को जाने

माउंगी गैब्री बावेंडी – इनका जन्म 1961 में फ़्रांस की कैपिटल पेरिश में हुआ है और वे (maungi gabri bawendi) मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अध्यापक भी है। इसके पिता भी एक विख्यात गणितज्ञ रहे है।

लुईस ई. ब्रुस – लुई का जन्म साल 1943 में हुआ है और वे कोलंबिया यूनिवर्सिटी में केमिस्ट्री के अध्यापक भी है। इन्होने क्वांटम डॉट्स नाम से प्रसिद्ध कोलाइडल सेमी-कण्डक्टर नैनो क्रिस्टल की खोज की है। 1996 से ही वे (Lewis E. Bruce) कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में कार्य कर रहे है।

एलेक्सी एकिमोव – इनका जन्म उस समय के सोवियत रूस में हुआ है। इन्होने वाविलोन स्टेट ऑप्टिकल संस्थान में कार्य करके क्वाण्टम डॉट्स नामक सेमी-कण्डक्टर नैनो क्रिस्टल की खोज का कार्य किया है। इन्होने साल 1967 में फिजिक्स से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है।

यह भी पढ़ें :- Actress Married with Billionaire: बॉलीवुड की इन हसीनाओं ने लिए करोड़पतियों संग फेरे, एक तो बनीं अंबानी परिवार की बहू

इतनी इनामी राशि मिली है

नोबल प्राइज जीतने पर स्वीडिश क्रोनर मतलब 1 मिलियन अमरीकी डॉलर्स की राशि मिलती है। ये राशि नोबल प्राइज के फाउण्डर एवं महान विज्ञानी अल्फ्रेड नोबेल की विल से दी जाती है।

Leave a Comment