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नेल्सन मंडेला जीवनी: प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, कार्य, रंगभेद विरोधी आंदोलन, प्रेसीडेंसी, पुरस्कार और सम्मान

दक्षिण अफ्रीका में मंडेला को लोगों द्वारा व्यापक रूप से "राष्ट्रपिता" माना जाता है। वे राष्ट्रीय मुक्तिदाता, लोकतंत्र के प्रथम संस्थापक, उद्धारक के रूप में भी प्रचलित है।

नेल्सन मंडेला को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के विरुद्ध आंदोलन करने और बहुत से सामाजिक सुधारवादी कार्य करने के लिए प्रसिद्धि मिली है। मंडेला अपने देश में बहुत सम्माननीय स्थान रखते है। मंडेला (Nelson Mandela) के काम करने का तरीका शांति और अहिंसावादी रहा है और उनके काम खुद उनके व्यक्तित्व की गवाही देते है। भारत के लोग गांधीजी के माध्यम से मंडेला के व्यक्तित्व को समझ सकते है। इस लेख के माध्यम से आपको नेल्सन मंडेला जीवनी और कामों की जानकारी देने का प्रयास होगा।

‘नेल्सन रोलिहलाहला मंडेला’ ने 20वीं सदी में ऐसा किरदार दिखाया जिसने उनको राष्ट्रनायक का नाम मिला। दक्षिण अफ्रीका में प्रिटोरिया सरकार का शासन मानव सभ्यता के लिए चमड़ी के रंग और नस्ल के अनुसार अत्याचार का काला दौर है। इस शासन में इंसान को 16 साल की उम्र के बाद अपने पास अश्वेत प्रमाण-पत्र रखना होता था। जिस दौर में आधी दुनिया आजाद थी वही दक्षिण अफ्रीका काले अंधेरों में डूबा था। मंडेला ने जुल्म, दमन, बर्बरता के काले अँधेरे को दूर करने का पराक्रम किया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 के दिन म्वेजो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के मवेजो गाँव में हुआ था। जन्म के समय पिता ने उनका नाम “ख़ोलीह्लह्ला मंडैला” दिया जिसका अर्थ था ‘उपद्रवी’। उनके माता-पिता का नाम नेक्यूफी नोसकेनी (माता) और गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा है और वे अपने सभी 13 भाई-बहनों में तीसरे संतान थे। इनके पिता अपने कस्बे की जनजाति के मुखिया थे। रिवाज के मुताबिक जनजाति की भाषा में सरदार के बेटे को ‘मंडेला’ कहा जाता है, जोकि आगे चलकर उनका उपनाम बन गया।

मात्र 12 वर्ष की उम्र में मंडेला के पिता का देहांत होने होने पर इनका का पालन तम्बू के रीजेंट जोंगिंटबा में हुआ। मंडेला की शुरूआती शिक्षा कलार्कबेरी मिशनरी स्कूल में हुई और इसके बाद वे मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल में पढ़ने लगे। वकील बनने की चाह में उन्होंने अपने मुखियापन की दावेदारी को त्याग दिया। अब उन्होंने साउथ अफ्रीकन नेटिव कॉलेज (अब फोर्ट हरे यूनिवर्सिटी) में प्रवेश ले लिया। विटवाटरसेन्ड विश्विद्यालय में कानून की शिक्षा लेकर वकील बनने की योग्यता परीक्षा भी उत्तीर्ण की।

राजनैतिक जीवन

मंडेला ने अपनी मात्र 18 वर्षों की राजनीतिक पारी को साल 1944 में अफ़्रीकी नेशनल कांग्रेस (ANC) की मेम्बरशिप लेकर शुरू किया। वे इस संघठन में यूथ लीग के रैंकों से ऊपर आये। इसी वर्ष उनकी शादी एवलिन नोको मेसे से हुई। मंडेला ने ANC के पद पर रहते हुए सत्तारूढ़ राष्ट्रीय दल की रंगभेदी नीतियों का जमकर विरोध किया। 1952 में मंडेला ने ANC साथै नेता ओलिवर टैम्बो के साथ साउथ अफ्रीका के पहले लॉ प्रैक्टिस की सह-स्थापना कर दी। इसी साल ही मंडेला ने साउथ अफ्रीका में पारित हुए कानूनों के विरुद्ध एक अवज्ञा अभियान चलाने में विशेष योगदान दिया।

साल 1952 में उनको इस पार्टी की ट्रांसवाल ब्रांच का अध्यक्ष बनाया गया और बाद में वे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बने। 1953 वे पहली दफा जेल भी गए। इसके बाद इन पर आंदोलनों के कारण देशद्रोह का केश भी चलाया गया और इसके लिए 5 सालों की कैद भी हुई। इसके बाद साल 1962 में 5 अगस्त को देशभर में हड़ताल करने और राजद्रोह के आरोप में फिर से गिरफ्तार हुए। इसके बाद उन्होंने 27 साल जेल में गुजारे।

जेल में रहकर नेल्सन मंडेला दुनिया ने बहुत प्रसिद्ध हुए और समूचे अफ्रीका महाद्वीप में रंगभेद के विरुद्ध संघर्ष करने वाले नेता बने।

रंगभेद विरोधी आंदोलन

क़ानूनी रूप से रंग-नस्ल भेद के तीन स्तम्भ थे –

  • रेस क्लासिफिकेशन एक्ट – गैर-यूरोपियन होने का शक होने पर प्रत्येक व्यक्ति का वर्गीकरण
  • मिक्स्ड मैरिज एक्ट – अलग नस्ल के लोगों की आपसी शादी पर रोक
  • ग्रुप एरियाज़ एक्ट – खास नस्ल के लोगों को एक सीमित क्षेत्र में रहने की बाध्यता

मंडेला ने ANC (अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस) का अभियान पुरे देश में पहुँचाने के लिए यात्रा की जिसमे बहुत से लोग शामिल हुए। सरकार ने उनकी सभाओं को प्रतिबन्धित करते हुए 6 महीने के लिए जोहानेसबर्ग से बाहर जाने पर रोक लगा दी। साल 1955 में मंडेला ने एक ANC का “फ्रीडम चार्टर” तैयार किया। जिसके मुताबिक – “दक्षिण अफ्रीका उन सभी का है जो यहाँ निवास करते है – अश्वेत और स्वेत। कोई भी सरकार राज करने का दावा नहीं कर सकती है, जब तक ये सभी लोगों की इच्छा ना हो।”

फ्रीडम चार्टर का समर्थन करने के लिए इसके अगले साल ही उनको 156 कार्यकर्ताओं सहित राजद्रोह के चार्ज में गिरफ्तार कर लिया गया। लम्बी अदालती कार्यवाही के बाद सभी लोगों को साल 1961 में रिहाई मिली। साल 1958 में सत्ताधारी नेशनल पार्टी ने ‘पास लॉ’ नाम के कानून को पारित कर दिया। इस कानून के अंतर्गत मिश्रित नस्ल और अश्वेत नागरिकों को कुछ स्थानों पर जाना प्रतिबंधित था। 2 सालों के बाद ही इस कानून के विरोध में रैली करने वाले 69 लोगो को गोली मर दी गयी। यह घटना ‘शार्पविले हत्याकाण्ड’ कहलाई। मंडेला और अन्य साथी लोगों को मुकदमों के बिना ही जेल हुई।

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मंडेला नए सैन्य अंग के कमाण्डर बने

जेल से रिहाई के बाद मंडेला ने सरकार के लोकतान्त्रिक भविष्य पर वार्ता ना करने तक आम हड़ताल की घोषणा की। लेकिन सरकारी दमन और हड़ताल को कम समर्थन मिलने के कारण मंडेला को भूमिगत होना पड़ा। इस समय तक मंडेला एक ‘वांटेड’ व्यक्ति हो गए थे। खासतौर पर ANC के हिंसा का समर्थन करने पर। मंडेला को ANC के नए सैन्य अंग ‘उम्खोंटो वे सिज़्वे’ के कमाण्डर बने। ANC ने सरकारी पोस्ट ऑफिस, बिजली के खम्बे और पुलिस थानों को उड़ा दिया। साल 1960 में ANC को प्रतिबंधित कर किया गया इस वजह से मंडेला भूमिगत हो गए।

इसके बाद उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था के लिए आंदोलन चलाया। उन पर हिंसक कार्यवाही का आरोप लगाते हुए हिरासत में ले लिया गया। साल 1964 में उन्हें जीवनभर के कारावास की सजा हो गयी। उन्हें रॉबेन द्वीप की जेल में कैदी बनाया गया। उन्होंने हार ना मानते हुए जेल के कैदियों को जुटाना शुरू कर दिया। 27 साल कैदी के रूप में बिताने के बाद 11 फरवरी 1990 के दिन वे रिहा हुए। इसके बाद समझौतों और शांति की नीतियों के अनुसार लोकतान्त्रिक और बहुजातीय अफ्रीका की आधारशिला रखी गयी।

मंडेला की प्रेसिडेंसी

अप्रैल 1994 में ANC ने नेल्सन मंडेला के नेतृत्व में सार्वभौमिक वोटिंग प्रणाली के माध्यम से दक्षिण अफ्रीका का पहल चुनाव जीता। चुनाव में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस को 62% वोट मिले और इनकी सरकार बन गयी।10 मई 1994 के दिन मंडेला ने देश के पहले बहुजातीय सरकार के रूप में पहले अश्वेत राष्ट्रपति बन गए। साल 1995 में उन्होंने मानवाधिकारों के उल्लंघन वाले मामलों की जाँच के लिए सत्य एवं सुलह आयोग (TRC) की बनाया। मंडला ने देश में घर, शिक्षा और आर्थिक विकास जैसे मुद्दों पर अश्वेत लोगों की हालत में सुधार के लिए नयी शुरुआत की। साल 1996 में इन्होने एक डेमोक्रेटिक संविधान को लाने का निरीक्षण भी किया। साल 1996 में संसद ने नए संविधान को सहमति दी। 1997 में वे सक्रिय राजनीति से दूर हो गए और 2 सालों के बाद ही 1999 में कांग्रेस-अध्यक्ष के पद को त्याग दिया।

पुरस्कार और सम्मान

दक्षिण अफ्रीका में मंडेला को लोगों द्वारा व्यापक रूप से “राष्ट्रपिता” माना जाता है। वे राष्ट्रीय मुक्तिदाता, लोकतंत्र के प्रथम संस्थापक, उद्धारक के रूप में भी प्रचलित है। साल 2004 में जोहनसबर्ग के सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति लगाकर सेंटर का नाम नेल्सन मंडेला स्क्वायर कर दिया गया। दक्षिण अफ्रीका में उनको बुजुर्गो सम्माननीय शब्द मदीबा से भी सम्बोधित करते है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नवंबर 2009 में रंगविरोधी संघर्ष के लिए इनके जन्मदिन (18 जुलाई) को “मंडेला दिवस” घोषित किया। मंडेला के 67 सालों तक लगातार इस आंदोलन को करने के कारण इस दिन में 67 मिनटों के दौरान अन्य लोगों की सहायता करने के लिए दान करने की अपील की गई है। मंडेला को दुनियाभर के अलग-अलग देशों और संस्थाओं से 250 से ज्यादा सम्मान एवं पुरस्कार मिल चुके है।

  • साल 1993 में साउथ अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति साथ साझेदारी में नोबल शांति पुरस्कार।
  • प्रेजिडेंट मैडल ऑफ फ्रीडम।
  • आर्डर ऑफ लेनिन।
  • भारत रत्न।
  • निशान-ए-पाकिस्तान।
  • गाँधी शांति पुरस्कार ( 23 जुलाई 2008 में)।

मृत्यु

नेल्सन मंडेला ने हॉटन , जोह्नसबर्ग में अपने घर में 5 दिसंबर 2013 के दिन अंतिम साँस ली। वे 95 साल की आयु से थे और उनकी मृत्यु की वजह फेफड़ों का संक्रमण बताया गया। इस समय उनका पूरा परिवार उनके साथ था और उनके निधन की सूचना राष्ट्रपति जेकब जूमा ने दी थी।

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