इस बात से हर कोई परिचित है कि कैंसर एक जानलेवा रोग है किन्तु ये (cancer) ऐसी बीमारी है जिसके लक्षणों की भी पहचान करना काफी कठिन है। आम लोगो को कैंसर जैसी घातक बीमारी को लेकर जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 7 नवंबर के दिन ‘नेशनल कैंसर जागरूकता दिवस’ मनाने की शुरुआत हुई है।
साल 2014 से ही इस दिन को मनाये जाने की शुरुआत की गई है। विश्व स्वास्थ्य संघठन (WHO) का कहना है कि विश्व में कैंसर के कारण होने वाली मौत में दूसरा स्थान है। वैश्विक स्तर पर देखे तो हर एक 6 व्यक्तियों में से 1 की मृत्यु कैंसर से हो रही है। WHO द्वारा जारी ‘विश्व कैंसर रिपोर्ट’ में दावा है कि इस बीमारी को लेकर एशिया की भागीदारी 49.3 फ़ीसदी है।
कैंसर की रिपोर्ट यह भी कहती है कि साल 2020 से 2040 के बीच में एशिया में कैंसर के नए केसो में 59.2 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी होगी। भारत के लिए इस रिपोर्ट का कहना है कि हर 10 में से 1 भारतीय को अपनी लाइफ में कैंसर होगा और हर एक 15 रोगी में से 1 की मौत होगी।
नेशनल कैंसर जागरूकता दिवस की हिस्ट्री
पहली बार हमारे देश के केंद्रीय स्वास्थ्य मन्त्री डॉ. हर्षवर्धन जी के द्वारा साल 2014 में ‘राष्ट्रीय कैंसर दिवस’ को आज ही के दिन शुरू किया गया था। इस प्रकार से 2014 में पहली बार मनाये जाने के बाद से ही यह दिवस आज तक जारी है। इस दिन लोगो को जानकारी दी जाती है कि किस प्रकार से शीघ्रता से कैंसर को जाँचा जाए और इसके इलाज में ध्यान लगाया जाए।
7 नवंबर की तारीख का कारण
7 नवंबर को नेशनल कैंसर दिवस रखने का भी एक प्रमुख कारण है कि इस दिन ही नोबेल अवार्ड विनर मैडम क्यूरी का जन्म भी हुआ था। इन्होने अपने जीवन में कैंसर से लड़ने में विशेष कार्य किये थे। उनके (Marie Curie) इसी विशेष काम के लिए इस दिन को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है।
नेशनल कैंसर जागरूकता दिवस का महत्त्व
इस दिन देशभर के सरकार एवं गैर-सरकारी संघठन लोगो में कैंसर को लेकर जागरूकता फैलाने का काम करते है। आज के दिन (National Cancer Awareness Day) सभी का प्रयास रहता है कि इस बीमारी के केस देशभर में कम हो जाए। संघठन की तरह से अवेयरनेस प्रोग्राम, सेमीनार एवं स्क्रीनिंग का आयोजन भी होता है।
कैंसर क्या होता है?
WHO के मुताबिक, कैंसर की बीमारी बहुत से रोगो का समूह होता है जोकि बॉडी के किसी भी भाग अथवा कोशिका में पैदा हो सकता है। इस दशा में असामान्य कोशिकाएँ बेकाबू होकर बढ़ जाती है। इस प्रकार से ये अपने क्षेत्र से आगे बढ़कर बॉडी के दूसरे भागो में फैलने लगती है। बाद की प्रोसेस को ‘मेटास्टेसिसिंग’ कहते है जोकि कैंसर से मरने की मुख्य वजह है।
कैंसर के मुख्य कारण
कैंसर हो जाने के बाद एक कोशिका आगे चलकर बहुत सी कोशिकाओं में परिवर्तित होकर ‘ट्यूमर’ का रूप ले लेती है। यही सामान्यतया कैंसर अथवा घाव की शक्ल ले लेता है। इंसान की गलत जीवनशैली ही इस बीमारी की मुख्य वजह है। जैसे स्तन एवं कोलोरेक्टम कैंसर भी ज्यादा मोटापा एवं कम सक्रियता से होता है।

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कैंसर की रोकथाम के उपाय
WHO की ओर से कैंसर की बीमारी की रोकथाम के कुछ तरीके भी जारी किये गए है जोकि निम्न प्रकार से है –
- तम्बाकू से दूरी बनाए।
- बॉडी के वजन को संतुलित रखे।
- सेहतमंद भोजन लें (इसमें फल, सब्जियाँ सम्मिलित है)
- शारीरिक गतिविधि को करते रहे।
- HPV एवं हेपेटाइटिस B के टीके अवश्य लगाए।
- पराबैगनी विकिरण से बचाव करें। (धूप एवं कृत्रिम टैनिंग डिवाइस के ज्यादा कांटेक्ट करें)
- बाहर एवं घर के वायु प्रदूषण के खतरे में कमी करें।