इस समय मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल में कुछ अलग ही स्थिति देखने को मिल रही है। पुराने समय में इस क्षेत्र में दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया काँग्रेस के लिए काफी महत्व रखते थे। इनकी बदौलत ही पार्टी ने बीजेपी के सामने चुनौती पेश की थी। किन्तु अब स्थिति यह है कि सिंधिया ने बीजेपी का साथ कर लिया है।
पहली बार सिंधिया दल पूरी तरह से बीजेपी के साथ खड़ा हुआ है किन्तु इससे भी बीजेपी की एमपी में चुनावी डगर आसान नहीं होने वाली है। पिछले इलेक्शन में आरक्षण के मामले में ग्वालिया-चंबल संभाग से बीजेपी को 13 सीटों पर मात खानी पड़ी थी। इस वजह से बीजेपी के केवल 7 ही उम्मीदवार यहाँ जीतने में सफल हुए थे।
कॉंग्रेस ने भी सिंधिया के नेतृत्व में अपने उम्मीदवारो की संख्या को 12 से 26 की थी। बाद में सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के बीजेपी में जाने से चुनावी दशा काफी बदली थी किन्तु असल मौका तो अब आया है। ये चुनाव तय कर देंगे कि बीजेपी को सिंधिया रास आ रहे है या नहीं और सिंधिया को भी ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अपनी महत्त्ता सिद्ध करनी होगी।
एट्रोसिटी एक्ट से बीजेपी को हानि हुई
पिछली बार के इलेक्शन में उच्चतम न्यायलय ने एट्रोसिटी एक्ट पर एकदम से अरेस्ट करने पर रोक लगा दी थी। इसी फैसले के विरुद्ध आरक्षित समुदाय की तरफ से 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद करने का फैसला हुआ था। इसी बंद में ग्वालियर एवं चंबल क्षेत्र में तोड़फोड़ एवं आग लगाने के मामले हुए थे।
फिर केंद्र सरकार द्वारा अपने स्तर पर नियम में परिवर्तन का विरोध भी अनारक्षित समुदाय की तरफ से हुआ था। इन दोनों ही आंदोलनों के बीच में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था। बीजेपी ने मुरैना से 4 सीटों पर जीत मिली थी जोकि साल 2018 में कॉंग्रेस के पास चली गयी थी। ऐसे जिली सभी 6 सीटों पर कॉंग्रेस का कब्जा हुआ था और भिण्ड जिले में 5 सीट में से 3 भी मिल गई थी।
सिंधिया देश में बीजेपी के नेता – पार्टी प्रवक्ता
बीजेपी में सिंधिया को लेकर खासी उम्मीदे देखने को मिल रही है। पार्टी को उनसे अच्छी जीत की आशा है। बीजेपी के एमपी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा है कि सीढिया सिर्फ ग्वालियर- चंबल के नेता नहीं है बल्कि देशभर में बीजेपी के अगली पंक्ति के नेताओ में शुमार है। पार्टी ने उनको मध्य प्रदेश से बाहर भी इलेक्शन में प्रचार करने को भेजा है। वे पार्टी के कहने पर हर जगह प्रचार को तैयार है।
अमित शाह 3 दिनों का दौरा करेंगे
एमपी इलेक्शन में बीजेपी को और मजबूती देने के लिए गृह मन्त्री अमित शाह भी मैदान में कूदने की तैयारी में है। शाह शनिवार से एमपी में 3 दिनों का प्रवास करने वाले है। इन दोनों में शाह 10 सम्भालो के कार्यकर्ताओं से मीटिंग करेंगे। बीजेपी में एमपी के इलेक्शन को साल 2024 चुनाव का सेमीफाइनल समझा जा रहा है। इस वजह से ही इलेक्शन की कमान केंद्रीय नेताओ के हाथ में दिखने लगी है।
इस चुनाव कम उम्मीदवारो को चुनने से लेकर घोषणा-पत्र को तैयार करने के सभी कार्य केंद्रीय नेतृत्व ने स्वयं किया है। अब केंद्रीय नेतृत्व ने इलेक्शन से सम्बंधित जिम्मेदारी अपने पास लेने के बाद प्रचार का काम शुरू कर दिया है। शाह राज्य में आकर एक के बाद एक रोड शो और सभा करने वाले है। इन 3 दिनों के दौरान शाह 10 सम्भालो के 230 कार्यकर्ताओ से वार्ता करने वाले है।

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शक्ति सम्मेलन को लेकर फीडबैक लेंगे
शाह अपनी रैली में कार्यकर्तों से शक्ति सम्मेलन आयोजन को लेकर फीडबैक भी लेने वाले है। वे (Amit Shah) सीधे प्रश्न-उत्तर के माध्यम से स्थिति को जाँचेंगे। इस सम्मेलन केतहत बूथ समिति एवं पन्ना प्रमुख को इलेक्शन से पहले प्रशिक्षण मिला था।