Government Bonds : बॉन्ड एक ऋण कागज होता है, जिसके अंतर्गत निवेशक पैसा उधार लेता है। निवेशक के द्वारा जिस संस्था के माध्यम से उधार लिया जाता है, वो संस्था उस व्यक्ति को एक निश्चित ब्याज दर और निश्चित समय के लिए पैसे उधार देती है।
ऐसे बहुत से कॉर्पोरेट बैंक, सरकारी बैंक और संस्था है, जो ब्याज देते है। जब सरकार बॉन्ड जारी करती है, तो उनको सरकारी बॉन्ड कहते
है।
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Government Bonds : आखिर 50 साल की मैच्योरिटी सरकार क्यों लेकर आयी है –
बीते विगत वर्षों में लोगों के द्वारा निवेश करने में बड़े स्तर पर बदलाव आया है, जैसे जैसे समय आगे बढ़ रहा है, लोग भी अपने निवेश को लेकर उतने ही समझदार होते जा रहें है।
कुछ लोग अपने रिटायरमेंट के बाद पड़ने वाली जरूरतों को पूरा करने के लिए अनेकों जगह निवेश करते है, जिससे उनको रिटायरमेंट पर आय का एक साधन मिल सकें।
इन्ही सबको देखते हुए भारत सरकारा और रिज़र्व बैंक के द्वारा 50 साल की मैच्योरिटी वाले बॉन्ड को लेकर आया जा रहा है। सरकार के द्वारा इस बॉन्ड को अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच लगभग 300 बिलियन रूपये के 50 वर्ष के बॉन्ड को लाने का प्लान बनाया है।
इस स्कीम को भारत सरकार इसलिए लेकर आयी है, क्यूंकि देश में बीमा और पेंशन के फण्ड की मांग हर वर्ष लगातार बढ़ती जा रही है, भारत में पहले बार 50 साल मैच्योरिटी वाली स्कीम आयी है।
सरकार का इस कदम को उठाने का मुख्य लक्ष्य उपज वक्र को बढ़ाना और बैंक की खरीद पर सरकारी निर्भरता को कम करना है।
Government Bonds क्या होते है –
सरकारी बॉन्ड देश के केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा उनकी जरूरतों को पूरा करने तथा धन की आपूर्ति करने के लिए ऋण का एक साधन होते है। जब केंद्र और राज्य सरकार को वित्तपोषण के लिए धन की जरूरत होती है, तो वो इन्हीं बॉन्ड के माध्यम से अपना काम करते है।
इसी के माध्यम से सरकार देश की जनता को 50 साल मैच्योरिटी वाले बॉन्ड को बेचेगी, भारत सरकार के द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक की देखरेख में बॉन्ड को जारी करती है।
विगत वर्ष में बड़ी कंपनियां, वाणिज्यिक बैंक, संस्थानों और बड़े बाजारों को भी बॉन्ड जारी किये गए थे, सरकारी बॉन्ड पर एक लम्बे समय के लिए निवेश किया जाता है।
बॉन्ड को 5 साल से लेकर 40 – 50 साल की अवधि के लिए जारी करते है, राज्य सरकार के द्वारा जारी बॉन्ड को राज्य विकास ऋण
( एसडीएल ) भी कहाँ जाता है।
बॉन्ड का पेपर निवेशक की अनेकों आवश्यकताओं को भी पूरा करते है, सरकारी बॉन्ड पर मिलने वाली ब्याज दर कूपन भी कहलाती है। भारत सरकार के द्वारा ऐसे बॉन्ड जारी किये जाते है, जिनके बाजार में कूपन दर निश्चित दर में तय होती है।
सरकारी बॉन्ड के प्रकार
- ट्रेजरी बिल
- नकद प्रबंधन बिल
- निश्चित दर बॉन्ड
- फ्लोटिंग रेट बॉन्ड
- शून्य कूपन बॉन्ड
- पूंजी सूचकांक बॉन्ड
- मुद्रास्फीति सूचकांकित बॉन्ड
- विशेष प्रतिभूतियां
- स्ट्रिप्स
- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
- राज्य विकास ऋण ( एसडीएल )
भारत में सरकारी बॉन्ड कैसे ख़रीदे –
आज से कुछ समय पहले तक बॉन्ड को खरीदना काफी मुश्किल था, निवेशकों को बैंक और ब्रोकर्स के पास चक्कर लगाने पड़ते थे। इसके अलावा दस्तावेजिक कार्य सारा ऑफलाइन होता था, जो बहुत लम्बा प्रोसेस जाता था।
अंत में निवेशक को उसके डीमेट खाते से सरकारी बॉन्ड मिलता था, इस कार्य में काफी लम्बा समय लगता था। जब से सभी कार्य डिजिटली हुए है, सरकारी बॉन्ड को खरीदना काफी आसान हो गया है।
म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश के माध्यम से –
म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करते समय यह सोचने की आवश्यकता नहीं है, की किस सरकारी बॉन्ड में निवेश करें या नहीं। म्यूच्यूअल फण्ड निवेशक पूल का चयन करता है, और उन्हें उनकी अवधि के अनुसार वर्गीकृत करता है।
बस आपको निवेश करते हुए यह ध्यान रखना है, आवंटन सरकारी बॉन्ड की तरफ अधिक झुकना चाहिए।
स्टॉक ब्रोकर के माध्यम से –
स्टॉक ब्रोकर के माध्यम से सरकारी बॉन्ड को खरीदना काफी सरल है, इसमें बॉन्ड को वैसी ख़रीदा जाता है, जैसे स्टॉक को खरीदते है। स्टॉकब्रोकर बॉन्ड इशू अपने पोर्टल पर अपडेट करता है, जिसके बाद बॉन्ड की नीलामी होती है।
निवेशक इन बॉन्ड को नीलामी के समय खरीद सकता है, इसके साथ ही भारत के नियमों के अनुसार सरकारी बॉन्ड खरीदने के लिए डीमेट खाता होना जरुरी है।
स्टॉक ब्रोकर ही बॉन्ड के नीलामी की खबर सब तक पहुंचाता है, स्टॉक ब्रोकर इन सब कामों की एक अच्छी खासी कीमत लेता है।
सरकारी बॉन्ड में निवेश करने के फायदे
रिटर्न
सरकारी बॉन्ड में रिटर्न अच्छा मिलता है, और ब्याज के साथ मूलधन की गारंटी भी मिलती है। बैंक में ऐसे बॉन्ड एक लम्बी अवधि के लिए जमा होते है।
लिक्विडिटी
कोई भी व्यक्ति अपनी इक्विटी खरीद और बेच सकता है, ऐसे तरलता बैंक और वित्तीय संस्थानों के जितनी ही होती है।
जोखिम मुक्त
सरकारी बॉन्ड में रिटर्न और पैसों को सुरक्षित रखने का वादा करती है, इसलिए यह जोखिम मुक्त का एक बेहतर उदाहरण है। यदि आप अपने पैसे और रिटर्न को वापस चाहते है, तो सरकारी बॉन्ड सबसे अच्छा विकल्प होता है।
पोर्टफोलियो विविधीकरण
सरकारी बॉन्ड में सरकार निवेशक के लिए एक अच्छा पोर्टफोलियो बनाती है, यह समग्र पोर्टफोलियो होता है। जो इस बॉन्ड को जोखिम मुक्त बनाता है।
नियमित आय
जो लोग सरकारी बॉन्ड खरीदते है, उनको आरबीआई के माध्यम से हर 6 महीने में ब्याज मिलेगा, इसलिए बॉन्डधारकों को अपने धन को निवेश करने के बाद एक अच्छा खासा आय अर्जित करने का मौका मिलता है।