इजराइल-फलीस्तीन के बीच लड़ाई की वजह है ये 35 एकड़ जमीन, जमीन पर यहूदी-मुस्लिम-ईसाई धर्मो के दावे

इजराइल के पास धरती का वो 35 एकड़ भाग है जिसको लेकर पिछले 75 वर्षो से लगातार विवाद और खुनी संघर्ष तक हो रहा है। अभी विश्व भर के आम और खास लोगो के सामने हमास की इजराइल (israel) पर आतंकी हमले की दिल दहला देने वाली खबरे गई। इसके बाद से ही कुछ लोगो में इस संघर्ष की कहानी को भी जानने की उत्सुकता आई है।

7 अक्टूबर की रात को सोने के समय हमास (Hamas) ने इजरायल पर हजारो रॉकेटों से हमला बोल दिया। इस अचानक से हुए हमले में 900 से भी अधिक इजराइली नागरिको की जाने चली गई और जवाबी हमले में 300 से अधिक फलीस्तीनी नागरिक मारे गए।

35 एकड़ जमीन के लिए संघर्ष

इजराइल और फलीस्तीन (Palestine) बीच सालो से हो रही जंग के की वजह 35 एकड़ जमीनी हिस्सा है। वर्षो से हो रही इस लड़ाई में हजारो लोगो ने जान गवाई है। खुनी संघर्ष के शुरू होने से अभी तक भी इस जमीन को लेकर कोई भी निर्णय नहीं हुआ है। बस इसको लेकर हमास का अटैक और इजराइल की जवाबी प्रतिक्रिया होती रही है।

यूनाइटेड नेशन के अधिकार में है जमीन

पहले तो इस जमीन को समझ लेना चाहिए जोकि येरूशलम में 35 एकड़ क्षेत्रफल में है और विश्व के 3 बड़े धर्म इससे सम्बन्ध रखते है। यह स्थान यहूदी हर-हवाइयत अथवा टेम्पल माउन्ट के नाम से भी जानी जाती है। मुसलमान इसको हरम-अल-शरीफ के नाम से जानते है।

एक समय पर इस जमीन पर फलीस्तीन का अधिकार था। किन्तु बाद में इसको इजराइल में अपने अधिकार में ले लिया। वर्तमान समय में ये 35 एकड़ की टेम्पल माउन्ट की जमीन न ही इजराइल के पास है और न ही फलीस्तीन के पास है। इस जमीन का कब्ज़ा पूरी तरह से यूनाइटेड नेशन के पास है।

सैकड़ो सालो तक मुसलमानो ने कब्ज़ा रखा

इस 35 एकड़ जमीन पर सैकड़ो वर्षो तक ईसाइयो ने कब्जाया हुआ था। इसके बाद 1187 से 1948 तक मुस्लिम पक्ष के लोगो ने अपना कब्ज़ा बनाये रखा। किन्तु साल 1948 में इजराइल देश ने निर्माण के बाद सभी का अधिकार यहाँ से समाप्त हुआ और ये देश आपस में झगड़ते आ रहे है।

जमीन को लेकर तीनो धर्मो के दावे

मुसलमानो का पक्ष

मुसलमानो के अनुसार मक्का-मदीना के बाद हरम-अल-शरीफ ही उनके लिए सर्वाधिक पवित्र स्थान है। उनके ग्रन्थ कुरआन में वर्णन है कि पैगम्बर मोहम्मद मक्का मदीने से उड़ने वाले घोड़े से यहाँ आए थे और यही से स्वर्ग (जन्नत) गए थे। उनके अनुसार येरुशलम में ही अल अक्सा नाम की मस्जिद भी बनी है।

मोहम्मद पैगम्बर के पाँव रखने के स्थान पर बनी ये मस्जिद सुनहरे गुम्बद वाली है जिसे ‘डॉम ऑफ द रॉक’ भी कहते है। अब इस कारण से ही ये स्थान मुस्लिम पक्ष के लिए जरुरी हो जाता है और वे इसको लेकर लड़ रहे है।

यहूदियों का पक्ष

यहूदी धर्म का पक्ष है कि येरुशलम के इसी स्थान पर वो ‘टेम्पल माउन्ट’ है जिसमे परमात्मा ने मिट्टी रखी थी। इस मिट्टी से ही आदमी का निर्माण हुआ है। इसी स्थान पर परमात्मा ने अब्राहम से कुर्बानी माँगी थी। अब्राहम ने अपने 2 पुत्रो इस्माइल एवं इसहाक में से इसहाक की कुर्बानी देने का निश्चय किया।

किन्तु एक फरिश्ते ने पुत्र के स्थान पर एक भेड़ को रख दिया था। ये चमत्कार ‘टेम्पल माउन्ट’ पर ही हुई थी जिसका वर्णन हिब्रू बाइबल में मिलता है। इसके बाद इसहाक को भी एक पुत्र जेकब हुआ जोकि इजराइल के नाम से भी जाना गया। इसी इजरायल के 12 पुत्रो से आगे चलकर यहूदी समुदाय निर्मित हुआ।

Al-Aqsa-Mousque
Al-Aqsa-Mousque

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ईसाइयों का पक्ष

ईसाई धर्म का मत है कि इसकी स्थान पर ईसा मसीह ने उपदेश दिए थे और उनको यहाँ सलीब पर चढ़ाया गया था। इसी जगह पर मारे जाने के बाद वो दुबारा जीवित हुए थे। इस वजह से ईसाइयों के लिए भी ये 35 एकड़ उतना ही जरुरी है जितना अन्य दो धर्मो के लिए है।

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