बूढ़े लोगो में गठिया (Arthritis) की समस्या के केस बढ़ने के कारणों को जान लेना जरुरी हो जाता है। आज के मॉडर्न लाइफस्टायल में अधिक वजह के साथ ही जोड़ो की लिंग विभिन्नताएँ दिखने के पीछे काफी कारण है। अभी तक के मामलो में ऑस्टियोआर्थराइटिस गठिया सर्वाधिक पाए जाने वाला टाइप है।
ये एक प्रकार की दशा है जिसमे हड्डी में पाए जाने वाले ऊतक (tissue) अपना लचीलापन खोने लगते है। इससे जोड़ो के ऊतकों के साथ ही इसके आसपास के अन्य ऊतकों को भी इफ़ेक्ट करता है। इस प्रकार की समस्या सामान्यता घुटने, कूल्हे, रीढ़ की हड्डी एवं हाथो में देखी जाती है।
40 के बाद इस बीमारी का खतरा
सामान्यतया ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या 40 से 50 वर्ष आयुवर्ग के लोगो में देखने को मिलती है। किन्तु कुछ नौजवानो एवं एथलेटिक लोगो को भी ये समस्या हो सकती है। खास बात ये है कि ऑस्टियोआर्थराइटिस के 60 फ़ीसदी केस महिलाओ में दिखते है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या के प्रति लोगो में जागरूकता लाने के लिए प्रत्येक वर्ष की 12 अक्टूबर तारीख को वर्ल्ड आर्थराइटिस डे मनाते है। ये दिन लोगो को इस समस्या से होने वाली परेशानियों के प्रति जागरूकता करने का रहता है।
गठिया होने के मुख्य कारण
मोटापा
उम्र दराज़ लोगो में इस समस्या के बढ़ने का कारण अधिक वजन भी होना है और इसी वजह से इनको गठिया की समस्या भी होने लगती है। ज्यादा वजन होने से जोड़ो, घुटनो, कूल्हों एवं रीढ़ पर एक्स्ट्रा दबाव बना रहता है। यही अधिक दबाव आगे चलकर आर्थराइटिस की वजह बनता है। पहले से जोड़ो में परेशानी होने पर उसको और बढ़ाता है।
पुरानी चोटे
कुछ लोगो को जवानी के दिनों में खेलते या किसी काम में चोट का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार की चोटों के दर्द तो चले जाते है किन्तु इनका प्रभाव हड्डियों में गहराई तक बैठ जाता है। ये चोट ही आयु बढ़ने पर गठिया होने की सम्भावना बढ़ाती है। ऐसी छोटो पर दवा लगने से तत्काल तो सही हो जाती है किन्तु इनका प्रभाव भविष्य में नजर आने लगता है।
पूर्व समय से चला आने वाला रोग
अधिक आयुवर्ग के लोगो में मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं ऑटोइम्यून के रोग सामान्य सी बात हो गई है। ये सभी रोग हमारी सेहत को विभिन्न तरीको से ख़राब करते है जिसमे गठिया भी एक रोग है। ये सभी रोग गठिया की समस्या के होने की सम्भावना को बढ़ाने का काम करती है।
गलत जीवनशैली
बूढ़े लोगो में शारीरिक काम करने की क्षमता में कमी होने लगती है किन्तु एकदम से कोई क्रिया न करने की आदत भी गठिया के रोग को आमंत्रण देने का काम करती है। वर्कआउट न करने से भी मसल्स में कमजोरी आ जाती है और जोड़ो में फ्लेक्सिबिलिटी भी कम जाने लगती है। ऐसे में गठिया की समस्या काफी बदहाल हो सकती है।
गठिया में इनसे परहेज रखें
शराब
गठिया के दर्द में शराब अथवा रेड वाइन का सेवन इसको बढ़ाता है। ये दोनों ही चीजे जोड़ो की सूजन को और सक्रीय कर देते है जिससे जोर से दर्द होने लगता है।
प्रोसेस्ड फ़ूड
ऐसे प्रोसेस्ड फ़ूड जिनमे मीठे, मैदे एवं वसा की अधिक मात्रा होती है वो गठिया में सूजन को बढ़ाती है। इनसे (processed food) जोड़ो में सूजन बढ़ेगी और यदि दर्द की वजह भी बनेगा। इसे जोड़ो में गतिरोध भी बढ़ता है और वक्त से साथ समस्या और बढ़ती है।
दूध-काफी का सेवन
दूध और काफी गठिया की समस्या को और सक्रीय करने का काम करते है। साथ ही इनसे पीड़ित की हड्डियों को भी नुकसान हो सकता है। इन दोनों में गठिया को भड़काने वाले तत्व होते है।
डिब्बे वाले ज्यादा सॉल्टी खाना
इस प्रकार के खाना गठिया की स्थिति में ज्यादा घातक हो जाता है चूँकि इनसे बॉडी में सोडियम का स्तर बढ़ता है और सूजन को सक्रियता मिलती है। ऐसे जोड़ो में दर्द बढ़ता है और हड्डियों को हानि पहुँचती है।

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इन सभी बातो को जानने के बाद अपने भोजन में सेहतमंद, अधिक रेशेदार एवं कम भड़काऊ आदि गुणों वाले भोज्य पदार्थो को लेकर ही गठिया की समस्या से दूरी और निजाद पा सकते है।