होम लोन (Home Loan) प्रदान करने की प्रक्रिया में जब नौकरीपेशा व्यक्तियों की बात आती है, तो बैंक उनकी सैलरी, बैंक स्टेटमेंट आदि की जांच करते हैं। परंतु, जब Self-employed व्यक्तियों को होम लोन देने का समय आता है, तो बैंक द्वारा उनकी आर्थिक योग्यता का आंकलन किस प्रकार किया जाता है? यहां जानिए बैंक (Bank) द्वारा क्या-क्या चेक किया जाता है।

आयु का महत्व (Age Factor):
होम लोन प्रदान करते समय हर बैंक आवेदक की आयु को महत्वपूर्ण मानता है। Self-employed व्यक्तियों के मामले में भी आयु पर गौर किया जाता है। यदि आवेदक की आयु कम है, तो उसे अधिक होम लोन मिलने की संभावना होती है और लंबे समय के लिए लोन मिल सकता है।
आवश्यक दस्तावेजों की जांच (Document Verification):
बैंक होम लोन देने से पहले आवेदक से आवश्यक दस्तावेज मांगते हैं, जैसे कि इनकम टैक्स रिटर्न, प्रॉफिट-लॉस स्टेटमेंट, बैलेंस शीट, बैंक स्टेटमेंट आदि। इससे बैंक आवेदक की वित्तीय स्थिति का आकलन करता है।
नेट इनकम का आकलन (Net Income Calculation):
सेल्फ-एंप्लॉइड व्यक्ति की नेट इनकम बैंक के लिए महत्वपूर्ण होती है, जिससे उनकी मासिक आय का पता चलता है। इसके आधार पर ही होम लोन की राशि निर्धारित की जाती है।
क्रेडिट स्कोर की जांच (Credit Score Check):
होम लोन देने से पहले बैंक आवेदक के क्रेडिट स्कोर की जांच करता है। यह उनकी क्रेडिट विश्वसनीयता को दर्शाता है। उच्च क्रेडिट स्कोर वाले आवेदकों को होम लोन प्राप्त करने में सहूलियत होती है।
अन्य आय स्रोतों का मूल्यांकन (Evaluation of Other Income Sources):
बैंक यह भी देखता है कि क्या आवेदक की अन्य स्रोतों से भी आय हो रही है, जैसे कि किराये से, निवेश से या अन्य संपत्तियों से। यदि आवेदक के पास अन्य आय स्रोत हैं, तो होम लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
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