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संसद के विशेष सत्र में मुद्दों को लेकर अनुमानों का दौर तेज़ हुआ, इन मुद्दों पर पर चर्चा हो सकती है

सफलतापूर्वक G-20 समिट का आयोजन करके देश-विदेश में प्रसंशा पाने के बाद सरकार ने संसद के विशेष सत्र की तैयारियाँ शुरू कर दी है। अभी सभी आम और खास लोगो को विशेष सत्र के मुद्दों को लेकर उत्सुकता बनी हुई है।

देश में सफलतापूर्वक G-20 समिट होने के बाद सरकार संसद का विशेष सत्र करने की तैयारी में है। सभी लोगो का ध्यान सिर्फ भाजपा की तरफ से इस विशेष सत्र में पेश होने वाले मुद्दों पर है। अब क्या होगा इसका अनुमान किसी अन्य व्यक्ति के साथ बहुत से भाजपा नेताओ को भी नहीं होगा।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) ने अपने एक्स खाते पर पोस्ट करके विशेष सत्र को लेकर जानकारी दी है कि ये संसद का विशेष स्तर 17वीं लोकसभा का 13वां सत्र एवं राजयसभा का 261वां सत्र है जोकि आने वाली 18 से 22 सितम्बर में होगा। इसमें पाँच बैठक होनी है और बहस होने को लेकर आशावान हूँ।

विपक्ष ने विशेष सत्र के एजेण्डों को माँगा

संसद के इस विशेष सत्र में विपक्ष ने लगातार एजेण्डे की माँग की है। इस माँग को सरकार ने ये कहकर खारिज किया है कि सत्र का एजेण्डा पहले से रखने की परम्परा नहीं रही है। फिर भी इस विशेष सत्र को लेकर कहा जा रहा है कि इसमें एक राष्ट्र-एक चुनाव के लिए बहस होगी और सरकार इसको लेकर कानून भी ला सकती है।

एक अन्य अनुमान यह है कि सत्र में देश का नाम स्थाई तौर पर इंडिया से भारत किया जायेगा। लेकिन अभी इन बातो को लेकर सिर्फ अनुमानों का ही दौर चल रहा है। अभी देश में चंद्रयान 3 की सफलता और G-20 समिति की मेजबानी के चलते ख़ुशी का माहौल है तो इस अवसर को सरकार भी जनता के समक्ष अपनी छवि बेहतर करने में इस्तेमाल करने की तैयारी में है।

खबरों के अनुसार विशेष सत्र में कुछ खास मुद्दे उठने वाले है जैसे जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य की मान्यता देने का प्रस्ताव, समान नागरिकता संहिता को लेकर फैसला, काफी समय से रुके महिला आरक्षण विधेयक और एक देश-एक चुनाव इत्यादि।

मोदी की छवि का लाभ लेगी बीजेपी

अभी पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में G-20 का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया तो इसको लेकर बीजेपी भी मोदी (Narendra Modi) की छवि को मजबूत नेता के रूप में पेश करना चाह रही होगी।

अभी देश में सिर्फ नेहरू ही ऐसे पीएम है जिन्होंने अपनी पार्टी को लगातार तीसरी बार लोकसभा के चुनावो में लगातार तीसरी बार जिताया था। इसी प्रकार से मोदी के तीसरी बार पीएम बनने से वो ये कारनामा करने वाले दूसरे नेता बन जायेंगे।

विपक्षी महागठबंधन को लेकर बीजेपी की रणनीति

अब लोकसभा के चुनाव काफी पास आते देख बीजेपी ने भी इन चुनावों में जीतने की तैयारियाँ शुरू कर दी है। अभी उनके सामने देश के 28 दल I.N.D.I.A. महागठबन्धन के रूप में खड़े है। बीजेपी इन सभी को सनातन धर्म के मुद्दे पर घेरने की सोच रही होगी। इसी गठबंधन की प्रमुख पार्टी DMK के नेता उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर नकारात्मक बयान दिए है।

वे सनातन को डेंगू, कोरोना, मलेरिया जैसी बीमारियों से तुलना करके समाप्त करने को कह रहे थे। हालाँकि उदयनिधि ने बाद में साफ़ भी किया कि वे सनातन धर्म, पूजा करने के अधिकार के विरोधी नहीं है और न ही वे नरसंहार की बात करते है। इस मामले में बीजेपी उनकी बात को गलत तरह से पेश किया है। वे धर्म के विरोध में नहीं बल्कि जातिप्रथा के विरोध में बोले है।

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jayraam ramesh
jayraam ramesh

जयराम रमेश ने अपना सवाल पोस्ट किया

कॉंग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने पोस्ट करते हुए अपना सवाल रखा है, “26 नवम्बर 2019 में संविधान की 70वीं वर्षगाँठ के मौके पर केंद्रीय कक्ष में विशेष मीटिंग हुई थी। 30 जून 2017 में GST लाने को लेकर आधी रात में केंद्रीय कक्ष में संयुक्त विशेष सत्र हुआ। 26 और 27 नवम्बर 2015 में संविधान दिवस मनाने को लेकर विशेष मीटिंग हुई थी।”

इसके बाद उन्होंने पोस्ट किया,” कुछ दिनों पहले महाघोटाले की सही तरह से जाँच करने में SEBI की नाकामयाबी पर बहुत से पेपर्स सहित सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका डाली गई। अब अडानी से जुड़ा एक कांट्रेक्टर करोडो इन्वेस्टर्स के लाभ में इस केस में हस्तक्षेप करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से आदेश चाह रहा है।

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