आज गणेश उत्सव का अंतिम दिन, गणेश जी की मूर्ति के विसर्जन के लिए समय, विधि एवं मुहूर्त की जानकारी लें

गणेश उत्सव की शुरुआत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन से होता है और इसकी समाप्ति चतुर्दशी तिथि में होती है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को अनन्त चतुर्थी (Ananta Chaturdashi) के रूप में मनाने की परम्परा है। इस वर्ष 28 सितम्बर के दिन अनन्त चतुर्थी का योग है।

यह तिथि ही गणेश विसर्जन के लिए सबसे अधिक उपर्युक्त बताई गई है। गणेशोत्सव को भाद्रपद महीने के 10 दिन मनाते है। और अंतिम दिन में गणेश जी का विसर्जन (Ganesh Visarjan) होता है। 19 सितम्बर के चतुर्थी से गणेशोत्सव की शुरुआत हुए थी जिसका समापन अनन्त चतुर्दशी से होने वाला है।

जिन भी भक्तो ने गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi) की शुरुआत में गणपति की मूर्ति अपने घर अथवा कार्यस्थल पर स्थापित की थी वो आज इस मूर्ति का विसर्जन करके गणपति को विदाई देंगे।

गणेशजी की मूर्ति का विसर्जन समय

शास्त्रों के मुताबिक़ हर वर्ष गणेश जी का विसर्जन भाद्रपद शुल्क चतुर्दशी तिथि को होता है। इस साल चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 27 सितम्बर के दिन रात्रि 10:18 बजे से हो रही है और 28 सितम्बर की शाम 6:49 बजे तक इसका समापन होगा।

गणेश विसर्जन के लिए मुहूर्त

28 सितम्बर के दिन प्रातः 6:11 बजे से प्रातः 7:40 बजे तक, प्रातः 10:42 से प्रातः 3:11 बजे तक और साम 4:41 बजे से रात्रि 9:12 बजे तक। रवि योग का समय – प्रातः 6:12 बजे से रात्रि 01:48 बजे तक।

28 सितम्बर के लिए अशुभ समय

पंचक – दिनभर,
भद्रा – साय 6:49 बजे से अगले दिन प्रातः 5:06 बजे तक।
राहुकाल – दिन में 2 बजे से दिन के 3:30 बजे तक।

गणपति विसर्जन की विधि

  • प्रातः नहाने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके तिलक लगा लें और गणपति की मूर्ति के सामने आसान बिछाकर बैठकर उनकी पूजा-प्रार्थना करें।
  • ॐ गं गणपतये नमो नम: मन्त्र को जपते हुए गणपति को अक्षत, कुमकुम, पुष्प, दीपक, धूप एवं गन्ध इत्यादि अर्पित करना है।
  • फिर घी के दिये अथवा कपूर से गणपति जी की विधिविधान से आरती उतारे। इसके बाद गणपति जी से अपनी सभी परेशानियों एवं पापो को समाप्त करने की अर्चना करें।
  • बप्पा से अपने जीवन में सुख-शान्ति एवं उन्नति लाने की प्रार्थना करें। अपने परिवार एवं परिजनों पर आशीर्वाद कायम रखने की बात कहे।
  • अंत में गणपति जी से कहे हम सभी आपको विदाई दे रहे है किन्तु आप सर्वदा हमारे हृदयो एवं घर में विराजेंगे। आप अगले वर्ष भी हमारे घरो में आकर हमें अपना आशीष देना।
  • अब आपको गणपति को उसके स्थान से हटाकर कही और रख देना है और अपने साथ के लोगो के साथ मिलकर भजनो के साथ गणपति जी को विदाई के लिए ले जाए।
  • अगर कोई जलाशय न हो और गणपति छोटे ही हो तो किसी टब अथवा बाल्टी में ही गणपति का विसर्जन कर दें। इसके बाद इस जल और गणपति की मिट्टी को किसी पीपल के वृक्ष की जड़ो में रख आए।
  • यदि गणपति बड़े है तो इसको किसी नदी, सरोवर में विसर्जन करना है।

गणपति के विसर्जन के लिए मन्त्र

  • ऊँ मोदाय नम:
  • ऊँ प्रमोदाय नम:
  • ऊँ सुमुखाय नम:
  • ऊँ दुर्मुखाय नम:
  • ऊँ अविध्यनाय नम:
  • ऊँ विघ्नकरत्ते नम:
  • ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्। इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च।

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गणपति विसर्जन में ध्यान देने वाली बातें

गणपति की मूरत को जल में धीरे से ही विसर्जन करना होता है और इसको अचानक से न छोड़े या पटकना नहीं है। विसर्जन की प्रक्रिया के समय गणेशजी के मंत्रो का जप करते रहना है। घर पर ही विसर्जन करने के दौरान जल को यहाँ-वहाँ नहीं फेंकना है और किसी व्यक्ति के पैरो के नीचे नहीं आने देना है।

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