मूनलाइटिंग क्या है और क्यों इसके कारण सता रहा कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोने का डर

ब कोई कर्मचारी अपनी नियत नौकरी के अलावा भी अन्य कार्य करके पैसे कमाता है तो इसी काम को टेक्निकली 'मूनलाइटिंग' कहते है।

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Reported by Pankaj Yadav

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मूनलाइटिंग क्या है और क्यों इसके कारण सता रहा कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोने का डर

मूनलाइटिंग शब्द पिछले कुछ समय से लोगों और मिडिया में चर्चा का कारण है। खासतौर पर आईटी सेक्टर में तो इसको लेकर हंगामा ही हो चुका है। इसी मूनलाइटिंग के कारण विप्रो कंपनी ने अपने 300 एम्प्लाइज को बरखास्त कर दिया है। विप्रो कंपनी के इस कदम के बाद से ही इस शब्द को के लेकर चर्चा और उत्सुकता का सिललिसा बहुत तेज़ हो चुका है।

नौकरी में मूनलाइट (Moonlight)को लेकर मतभेद है। कोई तो इसको एक धोखा (Cheating) बताता है तो कोई इसको कर्मचारियों का अधिकार। लेकिन अब लोगों के मन में प्रश्न है कि आखिर यह है क्या? इसकी चर्चा क्यों हो रही है? इस विवाद की शुरुआत कैसे हुई?

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मूनलाइट क्या होता है?

जब कोई कर्मचारी अपनी नियत नौकरी के अलावा भी अन्य कार्य करके पैसे कमाता है तो इसी काम को टेक्निकली ‘मूनलाइटिंग’ कहते है। कोरोना महामारी के बाद से ही लोगो के जीवन और कार्य करने के तरीके में परिवर्तन हुए है। अब लोगों के काम में बहुत से नए ट्रेंड देखे जा रहे है इन्हीं में से एक है मूनलाइटिंग का ट्रेंड। इस ट्रेंड को लेकर कुछ कम्पनियाँ तो समर्थन दे रही है तो कुछ कंपनियों ने इस पर कड़ा इतराज जाहिर किया है।

एक्सपर्ट की राय जाने

विशेषज्ञों के मुताबिक अब से कुछ नियोक्ता कम्पनियाँ इस प्रकार की गतिविधियों के सामने आने पर अपनी सूचनाओं एवं परिचालन तंत्र की सुरक्षा को लेकर और ज्यादा उपाय करने की सोच रही है। खासतौर पर उन मामलों में जहाँ उनका कर्मचारी वर्किंग प्लेस से दूर रहकर काम कर रहा हो। वे कहते है कि कंपनी कार्य सम्बन्धी अनुबंधों को और कड़ा करने वाली है। कुछ नियोक्ता कह रहे है कि तकनीकी कर्मचारियों की नौकरी पर वापिसी होने पर यह परेशानी बहुत कम हो जाएगी।

मूनलाइट धोखेबाजी है – विप्रो चेयरमैन

विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी (Rishad Premji) के मूनलाइट को लेकर बयान देने के बाद से इसको लेकर चर्चा में गर्मी आ गयी है। वे सीधे तौर पर इसको नियोक्ता कंपनी के साथ धोखेबाजी करार देते है। दूसरी ओर टेक महिंद्रा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीपी गुरनानी (CP Gurnani)ने इस मामले पर ट्वीट करके कहा – ‘ समय के साथ बदलना जरुरत है और हमारे काम करने के तरीके में व्यवधान का मैं स्वागत करता हूँ।’

कम सैलरी मूनलाइटिंग की वजह हो सकती है

इंफोसिस कंपनी के पूर्व डायरेक्टर मोहनदास पई (Mohandas Pai) ने PTI-भाषा से कहा – ” प्रौद्योगिकी इंडस्ट्री में शुरू में कम सैलरी ‘मूनलाइटिंग’ का एक कारण है। महामारी के समय सभी कुछ डिजिटल हो चुका है। गिग काम के अवसरों में बढ़ोत्तरी हुई है।

अगर आप लोगों को अच्छी प्रकार से भुगतान नहीं करेंगे और वे ज्यादा पैसा कमाना चाहते है तो ये अच्छी इमके का सरल तरीका है।” लोगो को लगता है कि तकनीक सुलभ है और डॉलर्स में अच्छा भुगतान मिलेगा। तो मैं भी अधिक कमाई कर सकता हूँ।

पुणे में मौजूद NITES ने कहा है – ‘ किसी इंसान का अपने पर्सनल रिसोर्सेस को प्रयोग में लाकर निजी समय में किया गया एक्स्ट्रा फ्रीलान्स सही है। और अगर व्यक्ति अपने ऑफिस के कार्य समय के दौरान ऐसा कर रहा है तो इसको अनुबंध का उल्लंघन कहेंगे।”

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