दिल्ली और एनसीआर सहित उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में भूकम्प के काफी तेज़ झटके देखने को मिले है। किन्तु आज के इस भूकंप (Earthquake) में एक या दो बार नहीं बल्कि पूरे चार बार के झटको को झेलना पड़ा है। आज आए भूकंप की तीव्रता इतनी अधिक थी कि बहुत से लोग तो डर के कारण अपने घरो और दफ्तरों से भी बाहर आ गए।
भूकंप के बाद आ रही खबर के अनुसार इस बार के भूकंप का केंद्र नेपाल (Nepal) में था। जिस भूकंप के झटके सर्वाधिक थे वो करीबन आधे घण्टे में दूसरी दफा आया था। ये भूकंप इतनी तीव्रता का था कि इसको दिल्ली, उत्तराखण्ड के साथ ही नेपाल में भी देखा गया। नेपाल के भूकंप में तो घरो की दीवारों के गिरने की फोटो आ रही है।
पहला झटका सुबह 11:06 बजे आया
भूकम्पों की रिपोर्ट देने वाले नेशनल सेन्टर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार आज भूकंप का पहला झटका प्रातः 11:06 बजे महसूस हुआ था और इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.7 आई है। इस भूकंप का केंद्र सोनीपत (हरियाणा) रहा।
इसके बाद दूसरे भूकंप के झटके को 1:18 बजे महसूस किया गया जिसकी तीव्रता 3.0 रही और इस बार के भूकंप का केंद्र पूर्वी भारत में असम का कार्बी आंगलोंग था। वैसे ही तीसरे भूकंप को 4.6 तीव्रता के साथ झटके को दोपहर के 2:25 बजे महसूस किया गया। आखिरी भूकंप के झटके को दोपहर 2:51 बजे महसूस किया गया जिसकी तीव्रता 6.2 रही।
नेपाल में रहा भूकंप का केंद्र
आज के भूकंप का केन्द्र नेपाल का बझांग (Bajhang) जिला रहा। इस भूकंप के झटके को पहली बार 2:45 बजे महसूस किया गया जिसकी तीव्रता 5.3 मापी गई। दूसरी बार के भूकंप का केन्द्र बझांग जिला का ही चैनपुर रहा जिसमे 3:06 बजे भूकंप आया और इसकी तीव्रता 6.2 मापी गई है।
नेपाल में तिब्बत के पास स्थित बझांग के भूकंप को भारत के उत्तराखण्ड एवं दिल्ली में भी देखा गया है। ये जगह काठमांडू से 458 किलोमीटर दूर स्थित है। इस वाले भूकंप को नेपाल के पश्चिमी जिले कैलाली, कंचनपुर एवं लुम्बिनी में देखा गया है।
चम्पावत एवं खटीमा में भी भूकंप
भारत के उत्तर में पर्वतीय राज्य उत्तराखण्ड के चम्पावत (Champawat) में भी भूकंप को लगभग 15 सेकण्ड तक देखा गया है। साथ ही नेपाल सीमा में स्थित खटीमा (Khatima) में भी भूकंप के झटके महसूस हुए है। इसके बाद यहाँ के लोग अपने घरो से बाहर आए थे। किन्तु अभी यहाँ से किसी की जान जाने की सूचना नहीं मिली है।
भूकंप आने के कारण
हमारी धरती के भीतर का भाग विभिन्न प्लेटो के आपस में जुड़ने से निर्मित होता है जिन्हे ‘टेक्टोनिक प्लेट्स’ कहते है। धरती के भीतर इस प्रकार की 7 टेक्टोनिक प्लेट मौजूद है और प्रत्येक प्लेट 100 किमी मोटाई की है। इन प्लेटो के खिसक जाने से घर्षण होने लगता है और कभी ये आपस में चढ़ भी जाती है और सतह तक कम्पन जाता है।
भूकंप की तीव्रता और खतरा
सामान्यता 5 से कम तीव्रता के भूकम्प अधिक हानि नहीं पहुँचाते है और इससे अधिक तीव्रता के भूकंप हानि जरूर पहुँचाते है। भूकम्प की घातकता को रिएक्टर स्केल से नापते है और हर एक स्केल के बाद भूकम्प का खतरा 10 गुना बढ़ जाता है।

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भूकंप आने पर ऐसा करें
- हड़बड़ी न करें और शांति बनाकर रखे।
- किसी मेज के नीचे छिप जाए और अपने सिर को ढाँक लें।
- भूकंप के शांत होने तक मेज को अच्छे पकड़कर रखें।
- भूकंप शांत होने पर तुरंत बाहर आकर वहाँ से दूर जाए।
- कभी-भी लिफ्ट का इस्तेमाल न करें।
- बिल्डिंगो, पेड़, दीवार एवं खम्भों से दूरी बनाकर रखे।
- गाडी के भीतर होने पर भूकंप शांत होने तक बैठे रहे।