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Dev Deepawali 2022 Date: कब है देव दीपावली? जानें शुभ मुहूर्त, समय, पूजा विधि और दीपदान का महत्व

7 नवंबर के दिन कार्तिक माह की पूर्णिमा में 'देव दिवाली' का पर्व मनाया जाता है। दीवाली के 15 दिनों के बाद ही पूर्णिमा के दिन 'देव दीवाली' का त्यौहार आता है। यह पर्व शिवजी की राक्षस त्रिपुरासुर के ऊपर जीत की खुशी में मनाया जाता है।

नवंबर के महीने में बहुत से व्रत-त्यौहार जैसे देव दिवाली और देवउठनी एकादशी के साथ मांगलिक कार्य हो सकते है। हिन्दू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के योग निंद्रा से उठने के बाद शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन-संस्कार, जनेऊ-धारण आदि को शुरू कर सकते है। देव दीपावली का पर्व कार्तिक माह की पूर्णिमा में मनाया जाता है, इस कारण से इसको ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ के नाम से भी पुकारते है। पुराणिक मान्यता के मुताबिक इस दिन देव का स्वर्गलोक से धरती पर आगमन होता है। इस त्यौहार को शिवजी के प्रिय शहर ‘काशी’ में काफी उल्लास से मनाने की परंपरा है।

देव दिवाली में शुभ मुहूर्त

  • देव दीपावली – 7 नवंबर 2022 (सोमवार) में
  • पूर्णिमा तिथि की शुरुआत – 7 नवंबर 2022 के दिन साय 4:15 बजे से शुरू
  • पूर्णिमा तिथि की समाप्ति – 8 नवंबर 2022 में साय 4:31 बजे पर
  • प्रदोषकाल देव दीवाली मुहूर्त – साय 5:14 बजे से साय 7:49 बजे तक
  • मुहूर्त का समयकाल – 2 घण्टे और 32 मिनट

पूजा की सामग्री को जाने

  • पूजा की चौकी, शिवजी और गणेशजी की प्रतिमा, पंचामृत
  • पीला कपडा, बेलपत्र, सफ़ेद चन्दन, अक्षत, नैवेध, लौंग
  • मिट्टी वाले 11 दिये, जेनऊ, मौली, बेलपत्र, दुबड़ा घास
  • तुलसी, इत्र, पुष्प, फल, मिठाई, हल्दी, कुमकुम
  • गंगाजल, कपूर, पीतल का दीया, कलश, अष्टगंध, दीपक वाला तेल
  • ताम्बूल-नारियल, पान, सुपारी, दक्षिणा, केला

Dev Deepawali 2022 Date: पूजा विधि

  • सबसे पहले देव दिवाली के दिन ब्रह्म मुहूर्त के समय में उठे और शौच इत्यादि से निवृत होकर नहाकर स्वच्छ कपडे धारण कर लें।
  • सूर्य भगवान को ताम्बें के लोटे से जल अर्पित करें।
  • सायकाल में प्रदोष काल के समय विधिपूर्वक पूजन करें।
  • पूजा की चौकी में पीला कपडा बिछा दें।
  • इस पर शिवजी और गणेशजी की मूर्ति रखें।
  • शिवजी को सफ़ेद चन्दन चढ़ा दें।
  • भगवान गणेश को लाल सिंदूर, अक्षत, कुमकुम इत्यादि चढ़ाएं।
  • दोनों देवो को जनेऊ अर्पित करें। साथ ही इन्हे दुबड़ा घास (दूर्वा), इत्र, पुष्प, माला, धूप एवं नैवेध इत्यादि को समर्पित करें।
  • दो पान के पत्ते लेकर इसमें 2 लौंग, 2 इलायची (छोटी), 1-1 सुपारी, 1-1 बताशा एवं थोड़े पैसे रखकर अर्पित करें।
  • घी से दीपक और धूप जलाएं।
  • विधिपूर्वक आरती, मंत्रपाठ एवं चालीसा को पढ़ें।
  • इसके बाद शिवलिंग की पूजा करें। शिवलिंग के अभिषेक के लिए दूध-दही, शहद, गंगाजल, खांड, पंचामृत इत्यादि का प्रयोग करें।
  • अंत में अपनी गलती और पूजन की विधि में त्रुटि हेतु भगवान से सच्चे मन से ‘क्षमा याचना’ कर लें।

देव दिवाली पर दीपदान का महत्त्व

शास्त्रों के मुताबिक देव दिवाली वाले दिन देवता कशी में स्नान करने आते है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन में सांयकाल में दीपदान करेगा उसको किसी भी शत्रु का खतरा नहीं रहेगा। जीवन में धन इत्यादि से जुडी हुई परेशानियों का हल मिलेगा। विधिविधान से दीपदान करने पर यम, शनि, राहू एवं केतु ग्रहो के हानिकारण असर कम हो जाते है। माँ लक्ष्मी के आशीर्वाद से धन लाभ होगा।

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दीपदान की विधि

इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में पवित्र नदी में नहाकर सूरज भगवान को जल अर्पित करें। अब माता तुलसी, श्रीहरि विष्णु एवं शिवजी की पूजा अर्चना करें। इसे बाद सायकाल में 11, 21, 51अथवा अपनी क्षमता के हिसाब से आटे के दीपक बनाये। इसको तेल डालकर जला लें। देवताओं की भक्ति करके कुमकुम, हल्दी, अक्षत से पूजा करें। इसके बाद इनको नदी अथवा तालाब में विसर्जित कर आये।

निर्धनों को दानपुण्य करें

देव दिवाली के दिन किसी मंदिर में जाकर अपने इष्ट देवता का पूजन करें। देवता को मन्त्र का उच्चारण करते हुए दीया सम्पर्पित करें। इसके बाद वहां पर किसी निर्धन और जरूरतमंद व्यक्ति को अनाज, भोज्य पदार्थ और पैसे इत्यादि दान करें। यह सब करने से आपके घर में धन संपत्ति आएगी और जीवन में उन्नति भी होगी।

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