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Chandrayaan 3 : चंद्रयान 3 लैंडिंग करने के बाद रोवर प्रज्ञान से ये सभी जानकारी भेजेगा

चन्द्रयान 3 ने चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करके एक नया इतिहास रच दिया है। लैंडिंग के बाद से ही देशभर में ख़ुशी की लहार दौड़ चुकी है। इसरो के इस कारनामे की चर्चा विश्वभर में हो रही है। नासा ने भी इसरो को बधाई सन्देश भेजा है। लेकिन अब सभी की उत्सुकता आगे होने वाली गतिविधियों को जानने में है। अभी तो प्रज्ञान ने लैंडर विक्रम से बाहर आकर चन्द्रमा की सतह पर घूमना शुरू कर दिया है।

बुधवार का दिन भारतीय इतिहास का स्वर्णिम दिन रहा चूँकि इस दिन शाम 6.04 बजे इसरो का चंद्रयान 3 चाँद की सतह पर लैंड कर गया। आने वाले समय में इंडिया ही विश्व को जानकारी देगा कि चन्द्रमा के साउथ पूल में क्या है। 40 दिनों पहले ही 14 जुलाई को चंद्रयान 3 ने चन्द्रमा की यात्रा शुरू की थी। यान ने सन्देश भेजा, भारत वालो, मैं अपनी मंजिल तक पहुँच गया हूँ और हर भारतवासी भी।

इसरो ने लैंडिंग की तस्वीरें शेयर की

24 अगस्त की सुबह इसरो ने एक अच्छी खबर दी, कि लैंडर रोवर प्रज्ञान रोवर नीचे उतरा और चन्द्रमा की सतह पर चलकदमी शुरू कर दी। जानकारी है कि आने वाले 14 तक प्रज्ञान चन्द्रमा का विश्लेषण करके विभिन्न डिटेल्स भेजता रहेगा। इसरो के इन्स्पेस चेयरमैन पवन गोयनका ने भी भेजी गई फोटोज को सोशल मीडिया पर शेयर किया है।

पीएम मोदी ने प्रतिक्रिया दी

जिस समय चंद्रयान 3 का लैंडर अपनी सॉफ लैंडिंग कर रहा था तब पीएम नरेंद्र मोदी साउथ अफ्रीका के ब्रिक्स समिट में थे। पीएम ने इस उपलब्धि पर कहा, ‘देश अब चन्द्रपथ पर चल चुका है। बच्चे अब ये नहीं कहेंगे कि चंदा मामा दूर के, वो कहेंगे चंदा मामा टूर के।’

भेजी गई तस्वीरों में क्या है?

भेजी गई फोटो को लैंडिंग इमेजर ने लिया अहा। फोटो में चंद्रयान 3 के लैंडिग स्थान का एक भाग दिखता है। इसमें लैंडर का एक पैर और इसकी परछाई भी दिखती है। फोटो के मुताबिक लैंडिंग सतह सपाट है। इसरो के अनुसार, लैंडर और यहाँ मिशन ऑपरेशन्स काम्प्लेक्स (MOX) में एक कम्युनिकेशन लिंक की भी स्थापना हुई है। अब इन्तेज़ार तो बस प्रज्ञान रोवर के जानकारी भेजने का है।

पहले दिन मिशन में ये काम होंगे

चंद्रयान 3 अब चन्द्रमा पर 14 दिनों तक वही रहकर पानी की खोज, खनिज की डिटेल्स एवं भूकंप की जाँच करेगा। प्रज्ञान रोवर वहाँ तापमान एवं मिट्टी की जानकारी लेगा। चन्द्रमा का 1 लूनार यानी 14 दिन धरती के 29 दिनों के समान है। इसरो को चन्द्रमा पर रात के शुरू होने से पहले ही दिन की रौशनी में सभी जानकारी पानी है। विक्रम लैंडर अपनी लैंडिंग साइट से नहीं हटने वाला है। प्रज्ञान आगे बढ़कर सारा डाटा लेकर विक्रम को भेजेगा और फिर विक्रम यह इसरो के पास पहुँचता जायेगा।

प्रज्ञान रोवर के 2 पेलोड्स

  • लेजर लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप – ये चन्द्रमा की सतह पर स्थित रसायन की क्वालिटी एवं क्वांटिटी को चेक करेगा और खनिजों को खोजेगा।
  • अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर – ये एलिमेंट कम्पोजीशन का अध्ययन करने वाला है, जैसे – मैग्नीशियम, एल्युमिनियम, सिलिकन इत्यादि। ये खोजे लैंडिंग की जगह के आसपास ही होगी।

मिशन नयी ऊँचाइयाँ छुएगा – इसरो

भारतीय स्पेस रिसर्च एजेंसी इसरो के अनुसार, लैंडिंग एवं रोवर में 5 वैज्ञानिक पेलोड जिनको लैंडर मॉड्यूल के भीतर रखा है। रोवर ने अल्फ़ा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर का इस्तेमाल केमिकल स्ट्रक्चर पाने एवं चन्द्रमा की सतह को और ज्यादा जानने और खनिज अनुमान करने में किया है। इसरो के अनुसार, चन्द्रमा की सतह पर विभिन्न साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट के लिए रोवर को लगाना मून मिशन को नए आयाम में लेकर जाएगा।

भारतीय अंतरिक्ष सम्मेलन में मंत्री की घोषणा

भारतीय अंतरिक्ष संघठन की पहली ही वर्षगांठ के मौके पर दिल्ली के आयोजित कार्यक्रम में कैबिनेट मिनिस्टर डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया, भारत की स्पेस इकोनॉमी साल 2025 में 1,280 करोड़ डॉलर्स (1.05 लाख करोड़ रुपए) तक पहुँचेगी। इसमें काफी मात्रा में सेटेलाइट लॉन्चिंग एवं निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी रहेगी।

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