बिहार में जाति जनगणना होने पर OBC वर्ग को लेकर पॉलिटिक्स जोर पकड़ चुकी है और जाति की राजनीति में स्थानीय दल बढ़त तो बनाए हुए ही है। किन्तु कुछ दिनों इस कॉंग्रेस पार्टी ओबीसी को अधिकार दिलवाने में काफी जोर दे रही है। अभी के समय की राजनीति में सामाजिक न्याय की बार करने वाले दल सोशल इंजीनियरिंग को आजमाते दिख रहे है।
जाति आधारित जनगणना के आँकड़े आने के बाद भाजपा की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी भी ‘गरीब’ वर्ग को एक जाति की तरह से कह रहे है। उनका कहना है कि भारत में गरीब से बड़ी कोई भी जाति नहीं है। लङकी उनसे पहले कॉंग्रेस की तरफ से इंदिरा गाँधी भी गरीबी हटाओ का नारा दे चुकी है।
जाति आधारित राजनीति करने वाले दल सोशल इंजीनियरिंग की तरफ जा रहे है तो कॉंग्रेस पार्टी जाति की राजनीति करके सत्ता में आने का खतरा कैसे उठा रही है। लगता है स्थानीय स्तर पर जाति आधारित दलों की पैठ को देखते हुए काँग्रेस भी जाति की राजनीति की ओर आकर्षित हो रही है।
मुस्लिम से जाति की राजनीति पर कॉंग्रेस
अभी तक देश के अल्पसंख्यक समाज का संसाधनों पर पहला अधिकार की पैरोकारी करने वाली कांग्रेस ने अपना पक्ष बदलते हुए जाति की राजनीति शुरू कर दी है। जाति जनगणना के मुद्दों पर बल देने से मुस्लिम समाज में काँग्रेस को लेकर समझ बदल रही है। मोदी (Narendra Modi) भी अपने भाषण में कह रहे है कि जनसंख्या के हिसाब से पहला अधिकार तो हिन्दुओ को मिलना चाहिए।
1990 के दौरान मण्डल कमिशन की रिपोर्ट को मान्य करके तत्कालीन वीपी सिंह ने जाति की राजनीति को बुनियाद दी थी। इसके बाद से ही स्थानीय दलों को जाति की राजनीति में बढ़ने का अच्छा अवसर मिला। इसी राजनीती के कारण से कॉंग्रेस के हाथ से OBC वोटर्स छिटक गया।
जाति राजनीति में स्वर्णो का महत्व
बीते दिनों में कॉंग्रेस का झुकाव ओबीसी वोटर्स पर आने के बाद से ही पार्टी के भीतर ही उच्च जाति के नेताओ में खलबली मची हुई है। ऐसे में खतरा है कि धारा-370 हटने के बाद कुछ नेताओं के पार्टी छोड़ने की तरह से ही इस मामले में भी कुछ नेता बीजेपी में जा मिले।
जाति की राजनीति करने वाले दल भी सोशल इंजीनियरिंग में सवर्ण नेताओ का कद मानते है। मायावती की पार्टी से सतीश चंद्र मिश्रा एवं लालू यादव की पार्टी से जगदानंद सिंह का होना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। कॉंग्रेस ने भी यूपी, बिहार और झारखंड में सवर्णो को नेतृत्व दिया है।
जाति गणना समाज को जोड़ेगी – अखिलेश
बुधवार को लखनऊ से सपा पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने देशभर में जातिगत की माँग की है। उनके अनुसार ये गणना हमारे समाज को जोड़ने का काम करेगी। कुछ लोगो पीछे रह गए है जिन्हे सम्मान एवं हक नहीं मिले है। ये जनगणना 85 और 15 का संघर्ष नहीं है किन्तु सहयोग का एक नया मार्ग है।
जातिगत जनगणना पर काँग्रेस का जोर
सोमवार के दिन कॉंग्रेस की वर्किंग कमिटी की बैठक हुई जिसमे आने वाले विधानसभा इलेक्शन में जातिगत सर्वेक्षण के मामले को पुरजोर तरीके से उठाने पर सहमति बनी। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) ने जातिगत मुद्दों की पैरोकारी की। कॉंग्रेस ऐसे ही राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में जीतने के साथ एमपी में भी वापिसी के प्रयास कर रही है।
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कॉंग्रेस शासित प्रदेशो में जाति गणना होगी
कमिटी की मीटिंग के बाद कॉंग्रेस ने फैसला लिया है कि वे अपनी सरकार वाले प्रदेशो में जातिगत जनगणना जरूर करवाने वाले है। पार्टी ने वादा किया है और इसको न तोड़ने की बात भी कही है। राहुल के मुताबिक़ वे बीजेपी पर भी जातिगत जनगणना करवाने का बल डालेंगे और वो ऐसा न कर पाए तो उनको पीछे हो जाना होगा।