बिहार की गई जातिगत जनगणना बीजेपी को पसन्द नहीं आई है और इस मुद्दे को बीजेपी का केंद्रीय स्तर भी अधिक महत्व देने के मूड में नहीं दिख रहा है। बिहार से बीजेपी के नेता इस जनगणना में कमियाँ अवश्य निकालते दिख रहे है। उनके मुताबिक़ इसमें अभी के सामाजिक एवं आर्थिक हालातो को जगह नहीं मिली है।
साल 2024 के इलेक्शन में भी बीजेपी अपने बड़ी जाति के मतदाताओं के आधार पर पिछले कारनामे को दोहराना चाहेगी। किन्तु बिहार में जातीय जनगणना के परिणाम आने के पश्चात ही इसी मामले को लेकर यूपी भी राजनीति गर्मा गई है।
बिहार में ओबीसी का प्रतिशत ज्यादा
पिछले तीन वर्षो में बिहार की राजनीति में जनगणना करवाने की जिद कायम थी और अब इसके परिणाम भी सामने आ चुके है। प्रदेश सरकार द्वारा दिए आंकड़ों के अनुसार, बिहार में ओबीसी 27 फ़ीसदी है और अत्यंत पिछड़ा वर्ग 63 फ़ीसदी है। इन दोनों को मिलकर 63 फ़ीसदी आँकड़ा आता है।
जाति को लेकर बिहार सरकार की रिपोर्ट में बिहार राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है और इनमे 27 फ़ीसदी ओबीसी, 36 फ़ीसदी अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति 19 फ़ीसदी एवं जनजाति 1.68 फ़ीसदी और सामान्य वर्ग 15.52 फ़ीसदी है।
विपक्षी नेताओं से सही कहा
आम आदमी पार्टी में यूपी से नेता संजय सिंह (Sanjay Singh) ने भी जनगणना से आरक्षण एवं सरकारी नीतियों का फ़ायदा सही नागरिको तक पहुँचेगा। इसी मामले पर आरजेडी के नेता मनोज झा (Manoj Jha) ने ‘ठाकुर का कुँआ’ कविता भी सुनाई थी। इसको लेकर आरजेडी के नेता के पुत्र चेतन आनन्द ने आरोप लगाया कि झा ब्राह्मण होने के कारण ठाकुरो पर ये कविता पढ़ रहे है।
विपक्षी नेताओं की माँग
इसी वर्ष अप्रैल में कर्नाटक विधानसभा के इलेक्शन में सबसे पहले राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) ने भी जातिगत जनगणना पर माँग की थी – जितनी आबादी, उतना हक। उनके अनुसार सबका विकास करने का नारा देने वाली मोदी सरकार भी जातियों के समुचित विकास को लेकर जनगणना के विरोध में है।
बिहार में ही 6 विधानसभा सीट पाने वाले औवेसी भी बीजेपी की मुसीबत बढ़ा सकते है। इसी वजह से बीजेपी को अपने से अलग छोटे दलों से निपटने में अधिक प्रयास करना होगा। बिहार की आबादी में मल्लाह 3.3 फ़ीसदी है, महादलितों का प्रतिशत 5.3 है।
1961 की जनगणना के अनुसार पर गणना हो
बिहार में निषाद पार्टी के केंद्रीय मंत्री डॉ. संजय निषाद के अनुसार इस समय की प्रदेश सरकार जातिगत जनगणना के आधार पर लोगो को भरमाना चाह रही है। इस प्रकार से मत में बँटवारा करके OBC एवं SC/ ST की आबादी को कम करना चाह रहे है। हमारी माँग है कि गणना संविधानिक रूप से हो और ये 1961 की जनगणना के अनुसार हो।
विपक्ष के पास बड़ा मुद्दा आ गया
राज्य में की गई जातिगत जनगणना को लेकर राजनीति के जानकार कह रहे है कि RJD और JDU ने जातिगत जनगणना करवाकर बड़ा काम कर दिया है। इस जातिगत जनगणना के बाद प्रदेश में हिन्दू-मुसलमान राजनीति को बड़ा आघात पहुँच सकता है। अब विपक्ष के जातिगत जनगणना के मामले पर बीजेपी को लोकसभा के इलेक्शन में भी हानि हो सकती है।
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जातिगत जनगणना पर बीजेपी मौन
बिहार के बाद यूपी में भी जातिगत जनगणना करवाने की माँगे होने पर बीजेपी ने मौन धारण कर लिया है। यूपी में बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी (Bhupendra Singh Chaudhary) के अनुसार, बिहार की सरकार ने किन नियमो के अनुसार जातिगत जनगणना को करवाया है। ये कॉंग्रेस, सपा एवं आरजेडी परिवार वाली राजनीति करते है। ये विपक्षी इस मामले पर अपनी रोटी सेंक रही है।