आजकल सादी चीनी से दूरी के लिए कृत्रिम मीठे का इस्तेमाल काफी हो रहा है। जिन लोगो को डायबटीज़ की बीमारी नहीं है वो लोग भी इनका (artificial sweeteners) भरपूर इस्तेमाल करने में लगे है। हालाँकि डायबटीज़ के रोगियों को इनके प्रयोग में थोड़ी सावधानी बरतने की जरुरत होती है। इसको लेकर अपने डॉक्टर से भी कंसर्न करने की जरुरत है।
अधिक मात्रा में कृत्रिम मीठे के इस्तेमाल से बहुत सी परेशानी हो सकती है और वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन इसको कैंसरकारी घोषित करने पर भी विचाराधीन है।
यह चीनी से अच्छा नहीं है – कृत्रिम मीठा ग्लूकोज की तरह से पेट में टूटने के बाद इनर्जी नहीं छोड़ती है जिसे हमारी बॉडी इस्तेमाल में लाती है। बॉडी के लायक कोई पोषक पदार्थ भी इसमें से नहीं मिल पाते है चूँकि यह कैलोरी भी नहीं रखता है। ये स्वाद में काफी मीठा होने से ज्यादा प्रयोग में लाया जाता है। किन्तु प्रतिदिन ज्यादा इस्तेमाल हानिकारक रहता है।
इसकी आदत अच्छी नहीं है – यदि इसका स्वाद किसी की आदत बन जाता है तो वो इसको ज्यादा इस्तेमाल करने लगता है। इसी आदत के कारण उस व्यक्ति का वजन भी बढ़ने लगता है। अधिक मात्रा में इस्तेमाल से व्यक्ति का पाचन तंत्र भी खराब होने लगता है। इसके अतिरिक्त डायबटीज़, सर दर्द, चक्कर, दिल की गति बदलना इत्यादि परेशानी होने लगती है।
बच्चे से दूर रखे – आज के दौर में बच्चो में भी डायबटीज़ (diabetes) की परेशानी देखने को मिल रही है। ऐसे में लोग उनको शुगर फ्री अथवा कृत्रिम मीठा देने लगते है। किन्तु इसके नुकसान को देखते हुए बच्चो को इसकी आदत नहीं डालनी चाहिए।
इसकी जगह फल अच्छा रहेगा – ये बात सामने आई है कि फल के सुक्रोज मीठे के लिए सही विकल्प रह सकते है। फलो मीठा अधिक हानिकारक नहीं है किन्तु इनके सेवन में सही मात्रा का ध्यान रखना जरुरी हो जाता है। ध्यान रखे यदि फलो के साथ कार्बोहाइड्रेट लेंगे अथवा दूसरी कैलोरी वाले भोज्य पदार्थ लेंगे तो लाभ के स्थान पर हानि होती है।
सैकरीन से बचाव करें – यह कम कैलोरीयुक्त मीठा पदार्थ है जोकि चीनी से निर्मित होता है। ये पदार्थ चीनी से 300 गुना ज्यादा मिठास भी रखता है। इसको डायटसोडा एवं दही इत्यादि बहुत से भोज्य पदार्थो में करते है। यह सेफ तो होता है किन्तु अधिक मात्रा में मीठा होने की वजह से इसको अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए।
DNA को नुकसान होगा
कृत्रिम मीठे को लेकर काफी शोध भी आ चुके है। इस रिपोर्ट के अनुसार इसमें सुक्रालोज 6-एसीटेट नामक केमिकल भी होता है जोकि अनुमान के मुताबिक़ DNA को हानि पहुँचाता है। सर्वे के अनुसार ये केमिकल ‘जीनोटॉक्सिक’ होने की सम्भावना से DNA को हानि दे सकते है।
आंतो एवं दिल पर बुरा प्रभाव
आंतो पर भी कृत्रिम मीठे के प्रभाव के शोध कार्य हो चुके है जिसके मुताबिक़ सुक्रालोज के कारण आंतो को हानि पहुँचती है। साथ ही आंतो की कोशिकाओं के अनुवांशिक गतिविधियों की जाँच से पता चला है कि ये ऑक्सीडेटिव तनाव, सूजन एवं कैंसर आदि रोगो को बढ़ाने का काम करता है।
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इन जरुरी बातो को ध्यान में रखे
- यदि आप कैलोरी की अधिक मात्रा लेते है तो उसकी तुलना में अपनी सक्रियता को भी बढ़ाना है। इस प्रकार से आप ली जाने वाली कैलोरी को खर्च कर सकेंगे।
- अधिक मात्रा में कृत्रिम मीठा डायबटीज़ एवं दिल से जुड़े रोग बढ़ते है और इसकी आदत होने पर मिठाइयाँ भी कम मीठी लगने लगती है। ऐसी दशा में सर्करा की इच्छा भी बढ़ने लगती है।
- अगर आपको ज्यादा मात्रा में मीठा लेना हो तो अपने खाने के शेड्यूल को चेक कर लें।
- आप अपनी इच्छा का भोजन कर सकते है किन्तु इसको खास मौके अथवा दिन के लिए रखना होगा।