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अनंतनाग में आतंकियों के खिलाफ सेना का ऑपरेशन गडूल जारी है, सेना को एक आतंकी की आधी जली बॉडी भी मिली

Operation garol in Anantnag: सैन्य बलों ने कश्मीर के गडूल में आतंकियों के खिलाफ सर्च अभियान जारी रखा है और आसपास के क्षेत्र में भी घेराबंदी कर दी है। आतंकियों की खोज में पहली बार मॉडर्न ड्रोन भी इस्तेमाल हो रहे है।

कश्मीर के दक्षिणी भाग के अनंतनाग (Anantnag) जिले में गडूल जंगलो में छिपने वाले आतंकवादियों की तलाश जारी है। सेना को भी तक आतंकियों के 5 ठिकानों को मिटने में सफलता मिली है। इनमे से एक गुफानुमी ठिकाने में जली डेड बॉडी भी मिली है जिसकी पहचान भी नहीं हो पाई है।

मिले शव को लेकर अनुमान है कि ये आतंकी का ही है जोकि सेना के मोर्टार की आग में जल गया था। अनुमान है कि ये डेड बॉडी आतंकवादी उजैर खान की है किन्तु इसकी जानकारी के लिए अभी उसकी फैमिली के लोगो के डीएनए नमूने लिए गए है।

सेना ने अपने ऑपरेशन को पडोसी गाँवो में भी फैलाया है और कुछ ठिकानो के चिन्हीकरण के बाद मोर्टार से हमले करने शुरू किये है। सेना को गच्चा देने ले लिए ये आतंकी बार-बार अपना ठिया-ठिकाना बदलने में लगे है चूँकि ये आतंकी इस पहाड़ी को अच्छे से जानते है।

आस-पास के इलाके में कड़ी घेराबंदी हुई

इस पहाड़ के जंगली क्षेत्र में आतंकी प्राकृतिक गुफा में छिपकर बैठे है। सेना ने ऑपरेशन तेज़ करते हुए पास के पॉश क्रेरी क्षेत्र में भी सुरक्षा के इंतज़ाम कर दिए है। सेना सुनिश्चित करना चाहती है कि कोई भी आतंकी यहाँ के घरो में न घुसने पाए। पुलिस के अनुसार, 2 से 3 आतंकी यहाँ के जंगली इलाको में फँसे है चूँकि सुरक्षा बल पुख्ता घेराबन्दी कर चुके है।

कश्मीर का बड़ा सैन्य ऑपरेशन

100 से भी ज्यादा घंटो तक चलने के कारण ये कश्मीर में सेना के सबसे बड़े ऑपरेशन में से एक बनता जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, यहाँ के गुफारूपी ठिकानो में विस्फोट करने के लिए हथियार बन्द ड्रोन समेत कुछ मॉडर्न हथियार इस्तेमाल में लाए जा रहे है।

हेरॉक मार्क – 2 पहली बार उतरा

सेना की तरफ से पहली बार कोकरनाग (Kokernag) में इस ऑपेरशन के अंतर्गत सबसे मॉडर्न ड्रोन हेरॉक मार्क-2 का इस्तेमाल किया गया है। भारी वर्षा होने पर भी ये ड्रोन अच्छे काम कर रहा है और क्वाड काप्टर ड्रोन के द्वारा भी निरंतर निगरानी का काम हो रहा है। पुलिस डीसीपी के विजय कुमार का कहना है कि जल्दी ही घेरे गए आतंकियों को काबू में कर लेंगे।

पहाड़ की तरफ जाने वाले मार्ग सील किये

सेना ने इस क्षेत्र की घेराबन्दी को कायम रखा है और इस पहाड़ के जिन भी स्थानों पर ये आतंकी ठिकाना होने के अनुमान है वहाँ के मार्गो को प्रतिबंधित किया गया है। आने-जाने वाले लोगो को पूछताछ के बाद ही जाने की अनुमति मिलती है।

क्षेत्र को क्लियर करना सेना का मकसद

सघन पहाड़ो में से बचे हुए आतंकी छिपकर गोलीबारी कर सकते है और वे कुछ जगहों पर IED भी प्लांट कर सकते है। सैनिको के वहाँ जाने पर विस्फोट हो सकता है। इस क्षेत्र को क्लियर करने में डॉग एवं बम ढूंढने के उपकरण भी इस्तेमाल हो रहे है। मिलने वाले विस्फोटक को एकदम निष्क्रिय किया जायेगा।

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कठिन जगह ऑपरेशन हो रहा है

सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल केजीएस ढिल्लो के अनुसार शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह, शहीद मेजर आशीष की बहादुरी अतुलनीय है। ये दोनों ही आर्मी के विभिन्न ऑपरेशन में भाग ले चुके है और अपनी वीरता के लिए अवार्ड भी ले चुके है। किन्तु अब जिस जगह पर ये ऑपरेशन हो रहा है वो काफी मुश्किल क्षेत्र है और वहाँ पर सूर्य की रौशनी भी नहीं जाती है।

इस जगह की चट्टानें एकदम खड़ी और टूटी हुई है और कर्नल का विश्वास है कि वो ऐसा क्षेत्र है जहाँ आतंकवादियों के छिपने के लिए एकदम माकूल है। सैनिको को एक-एक पत्ता पलटकर देखना पड़ेगा और ये अभियान अभी बंद नहीं कर सकते है और इसको जारी रखना होगा।

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