आज के समय में बहुत से शहरों में प्रदूषण की वजह से अस्थमा एवं सीओपीडी आदि सांसो से जुडी बीमारी काफी बढ़ने लगी है। अब तो अधिक आयुवर्ग के साथ ही नौजवान एवं बच्चे तक इनका (Asthma) शिकार होने लगे है। किसी को एक बार अस्थमा होने पर इसे निजात पाना एकदम कठिन हो जाता है।
भारत के शीर्ष चिकिस्ता संस्थान एम्स, नई दिल्ली के विशेषज्ञों की टीम ने भी अपने शोधकार्य में इस बात की पुष्टि कर दी है कि भ्रामरी प्रायाणाम एवं ॐ के जप से मानव की श्वास नली की सिकुड़न एवं सूजन कम होती है। इसके नियमित अभ्यास से साँस से जुडी बीमारी मे काफी आराम होता है।
किशोर वर्ग पर शोधकार्य हुआ
पीडियाट्रिक एवं फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट की चिकित्सको ने अस्थमा के रोग से ग्रसित बच्चो पर ये शोधकार्य किया था। इस सर्वे में 15 साल से कम उम्र के 110 बच्चो को लिया गया था। डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डॉ एसके काबरा (SK Kabra) के मुताबिक़ अस्थमा से पीड़ित बच्चो के एक ग्रुप को एलोपैथी उपचार सहित ॐ जप एवं भ्रामरी प्रायाणाम भी करवाए गए।
किन्तु दूसरे ग्रुप के बच्चो को सिर्फ दवाएं ही दी गई, इसके बाद दोनों ग्रुपो के बच्चो की 2, 6 एवं 12 हफ्तों की गैप में जाँच की गई। इसके परिणाम में पता चला है कि 12 हफ्तों तक दवा के साथ ही ॐ जप एवं भ्रामरी का अभ्यास करने वाले 68.2% बच्चो बीमारी के लक्षण नियंत्रण में आ गए है।
साँसो के रोग
अस्थमा की बीमारी में साँस की नली सिकुड़ती और सूजती है और रोगी को साँस फूलने की शिकायत हो जाती है। सर्वे (AIIMS Research) में ये बात सामने आई है कि इनमे अधिकांश बच्चे भ्रामली एवं ॐ का जप करने वाले थे। इन बच्चो में FENO का लेवल केवल दवाई लेने वाले बच्चो की तुलना में काफी कम हो गया है। इस प्रकार से इनकी साँसो की नाली में अधिक लाभ हुआ है।
प्रदूषण में साँसो की समस्या में फायदा
शहरों में हो रहे प्रदूषण एवं अस्थमा जैसे सांसो के रोगो के कारण साँसो की नली में बाधाएँ पैदा हो जाती है। इसी कारण से लोगो में साँसो की तकलीफ बढ़ जाती है। अब एम्स ने ये प्रमाणित कर दिया है कि अस्थमा के रोग में भ्रामरी एवं ॐ का जप दवाई के साथ बहुत लाभदायक सिद्ध हो जाता है।
भ्रामरी करने की प्रक्रिया
- सबसे पहले शांति वाली जगह पर सामान्य आसान में बैठ जाए।
- अपनी कनिष्ठा अंगुली को मुँह के दोनों तरफ ले जाने के बाद अपनी अनामिका को नाको के दोनों तरफ, मध्यमा को आँखों के पास रखना है।
- अपनी तर्जनी अंगुली को कनपटी के ऊपर रखते हुए कानो को बन्द करे दें।
- अब धीरे इस साँसो को भरते हुए छोड़े एवं भौरे की तरह से ही गुँजन भी करनी है।
ॐ जप की प्रकिया जाने
- सबसे पहले शांति के वातारण में अपनी आँखों को बंद करके बैठे।
- मुँह से ॐ का उच्चारण करते हुए सांसो को गहरा खींचना शुरू करें और धीमी आवाज ही निकाले।
- ॐ के उच्चारण में ‘अ’ से बॉडी के नीचे वाले हिस्से (नाभि वाला भाग) में, ‘ऊ’ से बॉडी के बीच वाले भाग (छाती वाला क्षेत्र) एवं ‘म’ से गले में कम्पन महसूस होगी।
- ये प्रक्रिया करते समय अपना ध्यान भी इन्ही चीजों पर रखना है।

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ॐ जप एवं भ्रामरी प्रायाणाम के फायदे
- भ्रामरी का प्रतिदिन करने से मानसिक शांति मिलती है और दिमाग की एकाग्रता भी बढ़ती है।
- आजकल हो रही टेंशन एवं डिप्रेशन की समस्या में भी राहत मिलती है।
- इस प्रक्रिया को सूर्य निकलने में पूर्व एवं शाम के समय भी कर सकते है।
- बॉडी में ऑक्सीजन का स्तर को ऊँचा करने में भी ॐ जप काफी लाभ देता है और इम्युनिटी में भी काफी सुधार होता है।
- ॐ जप से बॉडी में पैदा होने वाला कम्पन बॉडी के शुद्धिकरण में काफी कारगर होता है।
- इस प्रकिया को सुबह के समय करने से काफी अच्छा लाभ होता है।