बिग-ब्रेकिंग: अडानी ने ख़रीदा NDTV, रवीश कुमार का NDTV से इस्तीफे की खबर

देश की मिडिया इंडस्ट्री में उस समय खलबली मच गयी जब अडानी ग्रुप की प्रेस रिलीज़ जारी होने पर पता चला कि उसने एनडीटीवी के 29 प्रतिशत शेयर ख़रीदे है। ध्यान रखने वाली बात है कि NDTV की एक कंपनी के साथ साल 2009 में क़र्ज़ लेने की एवज़ में कुछ शर्तों के साथ करार हुआ था। इन्ही शर्तों का लाभ लेते कंपनी हुए ने एनडीटीवी के शेयर अडानी को बेच दिए। न्यूज़ चैनल खरीदने की जानकारी मिलते ही मेन स्ट्रीम मीडिया सहित सोशल मीडिया में भी यह खबर आग की तरह फैल गयी।
अब लोगों की अगली उत्सुकता NDTV न्यूज़ एंकर रवीश कुमार को लेकर हुई कि क्या वह एनडीटीवी में अपना काम जारी रखेंगे?

रवीश का आधी रात में इस्तीफा
बीती रात में रवीश में अपने बहुचर्चित शो प्राइम टाइम को अपने चिरपरिचित अंदाज़ में किया। किन्तु इसके 2 घण्टों के बाद ही उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया। चूँकि अडानी की मालकियत वाले चैनल में काम करना रवीश के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है।
रवीश कुमार हमेशा से ही अडानी और मोदी सरकार को लेकर हमलावर रहे है। इसके बाद वह एनडीटीवी में अपना काम जारी रखना चाहते हो तो उनके सम्पादकीय शो को लेकर चैनल में खींचातानी हो सकती है। लोग कह रहे है कि पत्रकार नहीं बिक सका तो चैनल को ही खरीद लिया।
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अडानी की NDTV में भागीदारी
ख़बरों की माने तो फार्च्यून कडुआ तेल बेचने के लिए प्रसिद्ध अडानी कंपनी ने NDTV में 29.18 प्रतिशत की भागीदारी कर ली है। इसके बाद कंपनी ने ओपन ऑफर भी लॉन्च किया है। यह भी देखा गया है कि बहुत से मुख्य धारा के चैनलों पर गोदी मीडिया होने का आरोप लगाया जाता रहा है। लोगों में बाते हो रही है कि रवीश कुमार जैसा पत्रकार मोदी सरकार से ख़रीदा नहीं गया तो रवीश के चैनल NDTV को अडानी ने खरीद लिया।
देश में पूंजीवादी सिस्टम का यह भी एक रूप है। एनडीटीवी के अनुसार यह डील बिना किसी चर्चा और बिना बातचीत किये हुई है।
पहले भी आयी है इस्तीफे की ख़बरें
साल 2015 की बात है रवीश कुमार ने प्यार से इस्तीफे को इस्तीफू कहते हुए पुराने गाने के अंदाज़ में गाया था – ‘अभी ना जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं।’ इस्तीफू के नाम पत्र लिखते हुए नवीश अपना निशाना किसी और पर लगते हुए हस्ताक्षर करते समय ‘मन की बात’ लिख दिए। “तुम्हे ना लिख पाने वाला वाला एक पत्रकार” – इस कारण की बात कर रहा था मैं।