Nainital Tourist Places : नैनीताल के प्रमुख पर्यटन स्थल जिनका दीदार किए बिना आपकी यात्रा अधूरी है

नैनीताल के मल्लीताल क्षेत्र में स्थित इको केव गार्डन में आपको एक दूसरे पर लगी चट्टानों की गुफाएँ मिलेगी। इनकी गुफाओं की यह विशेषता है कि इनको जानवरों के आकार में निर्मित किया गया है। इनके नाम है - पेंथर गुफा, टाइगर, वानर, चमगादड़ एवं फ्लाइंग फॉक्स गुफा।

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Reported by Sheetal

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हमारे देश के सुन्दरतम प्रदेशों में से एक उत्तराखंड में कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित शहर नैनीताल “झीलों का शहर” माना जाता है। एक दृश्य की कल्पना करें जिसमे पहाड़ पर एक ऐसा स्थान है जो कि चारों ओर से झीलों से घिरा है। सिर्फ इतना ही नहीं यह पहाड़ बर्फ से ढकें है।

इस प्रकार का दृश्य आपको प्राकृतिक सौन्दर्य से सराबोर कर देगा। नैनीताल में आपको ऐसे दर्शनीय स्थल मिलने वाले है जो आपके मन को मंत्र-मुग्ध कर देंगे। लेकिन इस प्रकार के अनुभव से पहले आपको Nainital Tourist Places की जानकारी लेनी चाहिए जो इस लेख में आपको मिलने वाली है।

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Nainital Tourist Places

इको केव गार्डन

नैनीताल के मल्लीताल क्षेत्र में स्थित इको केव गार्डन में आपको एक दूसरे पर लगी चट्टानों की गुफाएँ मिलेगी। इनकी गुफाओं की यह विशेषता है कि इनको जानवरों के आकार में निर्मित किया गया है। इनके नाम है – पेंथर गुफा, टाइगर, वानर, चमगादड़ एवं फ्लाइंग फॉक्स गुफा। इन गुफाओं के अतिरिक्त आपको यहाँ पर झूलते बागान और संगीतमय फव्वारे भी देखने को मिलेंगे।

पर्यटकों को हिमालय वन्यजीव आवास की विशेष झलक देने के लिए गुफाओं को बनाया गया है।हालाँकि जरुरी गतिविधियों की वजह से यहाँ पर बच्चे और बूढों को ना आने की सलाह दी जाती है। यह गगार्डन प्रातः 09:30 बजे से खुलकर शाम को 05:30 बजे बंद होता है। प्रवेश के लिए आपको शुल्क देना होगा – वयस्क के लिए 60 रुपए और बच्चों के लिए 25 रुपए।

नैनी झील

सात अलग-अलग पहाड़ों की चोटियों से घिरी हुई नैनी झील को नैनीताल सबसे आकर्षक स्थान माना जाता है। यह हरी-भरी घाटियों से घिरा हुआ है। नैनीताल को ‘तीन संतों की झील’ या ‘त्रि-ऋषि-सरोवर’ के नाम से भी जानते है। यह झील बहुत लम्बी है, जिसका उत्तरी भाग ‘मल्ली ताल’ कहलाता है।

यह एकमात्र ऐसी झील है जिस पर एक पुल और एक पोस्ट ऑफिस है। यह स्थान सैलानियों में पिकनिक करने के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहाँ पर आप डूबते सूरज का अद्वितीय नजारा देख सकते है। झील के पास ही आपको नैना देवी का मंदिर देखने को मिल जायेगा।

स्नो व्यू पॉइन्ट

यह नैनीताल का मशहूर स्थान है जो कि नैनीताल से 2.5 किमी की दुरी पर स्थित है। यहाँ पर आपको दूध जैसी बर्फ से आच्छादित हिमालय देखने को मिलेगा। सैलानी रोपवे अथवा किराए एक वाहन से आवागमन कर लेते है।

शक्तिशाली हिमालय पर्वतमाला का दृश्य दिखाने वाला यह स्थान ‘शेर-का-डंडा’ रिज के टॉप पर मौजूद है। स्नो व्यू का सबसे अच्छा दृश्य अक्टूबर और नवंबर महीने में मिलता है। यहाँ पर आपको संगमरमर के पत्थर से बना देवी ‘मुंडी’ का छोटा सा मंदिर मिलेगा। स्नो-व्यू के आगे कुनक्याप लिंग बौद्ध मठ भी है।

टीफिन टॉप

नाम से ही जान लें यह जगह आपको पुरे नैनीताल का दृश्य दिखाने वाली है। इसके चारों तरफ आपको ओके, चीड़, देवदार के जंगल देखने को मिलेंगे। शांति का वातावरण आपको प्राकृतिक खूबसूरती का दर्शन करवाएंगे। नैनीताल आने के बाद यहाँ ना आने के बाद आपकी यात्रा अधूरी रह जाएगी।

यहाँ पर सैलानी पिकनिक के साथ ही खतरे के काम जैसे पर्वतारोहण भी करते देखे जाते है। इस जगह का नाम “डोरोथी सीट” को एक अंग्रेज महिला ‘केलेट डोरोथी’ के नाम पर रखा गया है जो यहाँ पर बैठ कर पेंटिंग करती थी।

नैना पीक

नैनीताल की सबसे ऊँचाई पर स्थित चोटी है जो कि 2615 मीटर ऊंचाई पर है। यह स्थान पुरे साल बर्फ से आच्छादित रहता है जोकि चारों ओर से हरियालीदार वृक्षों से घिरा है। स्थानीय लोग इसको “चायना पीक” के ना से भी जानते है। सैलानी यहाँ पर फोटो खीचने का शौक पूरा करते देखे जाते है। एडवेंचर के शौकीन लोगो के लिए हाईकिंग और ट्रैकिंग के खेल भी यहाँ है। यहाँ का सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों ही लोगों में काफी लोकप्रिय है। पर्वत चोटी से जहाँ एक तरफ बर्फ से ढँके हिमालय का पश्चिम में बन्दर पूँछ चोटी से पूर्व में नेपाल के अपि और नारी चोटी तक विस्तृत दृश्य है। इसके दूसरी तरफ नैनीताल का सुन्दरतम ‘बर्ड आई व्यू’ भी है।

पं. गोविंद बल्लभ पंत चिड़ियाघर

समुद्री तल से 2100 मीटर की ऊंचाई पर नैनीताल की शेर डांडा पहाड़ी पर मौजूद वह नैनीताल का मशहूर चिड़ियाघर है। इसकी नैनीताल बस स्टॉप से दुरी मात्र 1 किमी है।

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यह पर आपको हिमालयी काला भालू, बन्दर, तेंदुआ, भेड़िया, पाम सिविट बिल्ली, सिल्वर तीतर, पहाड़ी लोमड़ी, सांभर, घोरल और भौकने वाला हिरन भी मिलेगा। यह ज़ू सोमवार एयर सरकारी छुट्टी के दिन बाद रहता है।

नैना देवी मंदिर

इस मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता है कि यहाँ पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। यही वजह है कि इस मंदिर का नाम नैना देवी मदिर पद गया। इस तीर्थ को हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थानों में मान्यता मिली हुई है। यहाँ पर एक पीपल का पेड़ सदियों से मौजूद है जो लोगों को आकर्षित करता है।

इस मंदिर के भक्तिमय परिवेश में आकर आप अपने जीवन को नए आयाम में महसूस करेंगे। पुराने समय में मंदिर तक पैदल पहुँचाना होता था लेकिन अब यात्रियों को उडानखटोले की सुविधा मिल जाती है।

ज्योलिकोट

नैनीताल में नैनीझील का प्रवेश द्वारा माना जाने वाला मनमोहक स्थान है। यहाँ पर सुंदर एवं ताजा फल-फूल और विभिन्न प्रकार की तितलियाँ पाई जाती है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह तो एक शानदार सैर का अनुभव देने वाली है।

आप चाहे तो प्राकृतिक दृश्यों को लेकर अपना फोटोग्राफी का शौक भी पूरा कर सकते है। बड़े हो या बच्चे यहाँ की तितलियों को देखकर मन ख़ुशी से झूमने लगता है।

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क

हरियाली, शांतिमय माहौल, पेड़ो की शुद्ध हवा और दुर्लभ विलुप्त होते पशु-पक्षी देखकर आप एक ही समय में प्रकृति का सौन्दर्य पा सकते है। यह सभी चीजे आपको जिन कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान में देखने को मिल जाएगी।

यह पार्क साल 1936 में बनकर तैयार हुआ था जो कि 521 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। आप यहाँ पर अक्टूबर से फरवरी के महीने में आ सकते है। यहाँ पर आपको कुछ ऐसे विचित्र पक्षी देखने को मिलेंगे जो अन्य कही नहीं पाए जाते है।

पंगोट

नैनीताल सिटी से 15 किमी दुरी पर स्थित छोटा सा गाँव ‘पंगोट’ है। इस लोकेशन की ओर जाते समय सैलानी नैना पीक, स्नो-पीक और किलबरी को भी देखते है। यह जगह पक्षी प्रेमियों के स्वर्ग के रूप में काफी लोकप्रिय है। यहाँ पर करीबन 150 नस्लों के पक्षी पाए जाते है।

सामन्यतया आपको यहाँ पर ग्रिफान, रयुफ्स बेली वुड-पैकर (कठ फोड़वा), नीले पंख वाला मिनला, धब्बेदार और स्लेटी फोर्कटेल, खलीज तीतर इत्यादि देखे जा सकते है। नैनीताल से इसकी दुरी 323 किमी है जिसको आप मात्र 7 घंटो में पूरा कर सकते है।

तल्ली एवं मल्ली ताल

नैनीताल में स्थित दो ताल है जिनके दोनो ओर सड़के है। ताल का मल्ला भाग मल्लीताल एवं नीचला भाग तल्लीताल कहा जाता है। मल्लीताल में एक समतल मैदान है, यहाँ पर शाम से समय आये हुए यात्री देखे जाते है। यहाँ रोज नये-नए तमाशे देखने को मिलते है।

शाम के समय बिजली जलने के बाद ऐसा लगता है मानों सारी की साड़ी नगरी इस ताल में डूब चुकी हो। नैना देवी का मंदिर और यह तालाब देवी की साक्षात् स्मृति की याद दिलाते दिखाई पड़ते है।

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