आज कल कुछ लोगो के मोबाइल में खास ऑफर का सन्देश आ रहा है और इसको अन्य लोगो को भेजने पर कोई विशेष इनाम देने की बात भी होती है। ऐसे दुष्प्रचार में आईफोन 15 तक देने के ऑफर दिए गये है किन्तु इस प्रकार की बाते एक प्रकार से ठगी का जाल है।
इस प्रकार से पार्ट टाइम नौकरी करके ज्यादा धन कमाने एवं LPG गैस की डीलरशिप देने के भी आकर्षक ऑफर मिलते रहते है। एक अन्य मामले में नकली इंस्टाग्राम आईडी से ठगो ने एक महिला बैंकर को भी नुकसान पहुँचाया है। लोगो के ज्यादा ऑनलाइन कार्य करने के बाद से ही ऑनलाइन ठगी (Cyber crimes) का कारोबार भी तेज़ी से फलने-फूलने में लगा हुआ है।
AI से भी साइबर क्राइम
साइबर ठग भी नए हथकंडो से लोगो को अपना शिकार बना रहे है और वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को भी अपनी ठगी में काफी अच्छे से इस्तेमाल करने में लगे है। एआई के इस्तेमाल से वे फिशिंग ईमेल, गलत खबरे, लेख इत्यादि को सरलता से कर पा रहे है। इससे वे पब्लिक को उकसाने, नकली जानकारी देने, जरुरी जानकारी चोरी करने आदि कार्यो में इस्तेमाल करते है।
सत्यापन एवं प्रमाणीकरण बचाव करेगा
ऑनलाइन प्रॉपर्टी एवं सन्देश की प्रक्रिया को सेफ बनाने के लिए सत्यापन एवं प्रमाणीकरण प्रक्रिया काफी कारगर साबित होती है। अपनी ऑनलाइन सम्पति को सेफ करने में डिजिटल सिग्नेचर, बायोमेट्रिक, एक से ज्यादा ऑथेंटिकेशन एवं एन्क्रिप्शन आदि को करना अच्छा उपाय है।
इस्तेमाल हो रहे नेटवर्क सेफ्टी पर भी ध्यान देना जरुरी है। एक शोध के अनुसार सत्यापन एवं प्रमाणीकरण की ये सभी प्रक्रिया करने से साइबर ठगी की 90 फ़ीसदी सम्भावनाएँ कम हो जाती है।
वर्चुअल रिस्क को जानना होगा
AI के माध्यम से किये जाने वाले साइबर क्राइम से बचाव के लिए ये जरुरी है कि उनकी पहचान कर लेनी चाहिए। गलत कॉल, चैट, मैसेज, सामग्री इत्यादि को मार्क करते हुए इनको उसी समय रिपोर्ट करना है। डीपफेक वीडियो की जानकारी के लिए अपने को अधिक जागरूक करना है।
नयी तकनीक एवं जानकारों की सहायता
जेनरेटिव एआई जैसी टेक्नोलॉजी की सहायता से ऑनलाइन क्राइम को टाल सकते है। AI मॉडल जाली सामग्री एवं छेड़खानी वाली सामग्री की पहचान करने में सहायता करता है। यह सूक्ष्मता से नकली खबरों को भी जान लेता है।
बहुत से संस्थान एवं जानकार ऑनलाइन क्राइम से बचने में इन सेफ्टी फीचर को बताते है। गवर्नमेंट एजेंसियों के गाइडेन्स को मानकर इन ऑनलाइन क्राइम से बच सकते है।
ऐसे साइबर क्राइम से बचना होगा
जूस जैकिंग – पब्लिक प्लेस में अपने फ़ोन को चार्ज करने से दूरी बनानी होगी चूँकि इन पब्लिक चार्जिंग पोर्ट से ही अपराधी जरुरी डाटा चोरी कर सकते है। इन चार्जिंग पोर्ट पर मैलिसियस हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर के इंस्टालेशन के बाद लगने वाले फ़ोन का डेटा ले अथवा हैक कर सकते है। ऐसे में अपने फ़ोन का चार्जर एवं पावरबैंक ट्रैवलिंग में साथ लेकर जाए।
नकली जॉब ऑफर्स – ऑनलाइन मिलने वाली फेक जॉब (Online Jobs) के ऑफर एकदम असली से ही प्रतीत होते है। अगर ऑफर में जॉब के लिए कुछ पैसे की डिमांड हो रही है तो वह फेक हो सकता है। सबसे पहले तो इस कम्पनी को लेकर अपनी जानकारी पक्की करें। इसके बाद वेरिफिकेशन एवं तसल्ली होने पर ही आगे बढ़ें।
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UPI रिफंड ठगी – इस प्रकार की ठगी में अपराधी अपने को बैंक अथवा डिपार्टमेंट का व्यक्ति बताकर रिफंड का दावा करने की बाते करता है। इसके बाद एक लिंक भेजकर रिफंड दावे के लिए रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने की बात करते है और इसी से यूजर की यूपीआई आईडी एवं पासवर्ड को चोरी कर लेते है। बैंक एवं विभाग ये डिटेल्स कभी नहीं माँगते है।