Money Laundering :- मनी लॉन्ड्रिंग शब्द की उत्पत्ति संयुक्त राज्य अमेरिका के माफिया ग्रुप के द्वारा हुई थी, इस समय भारत में भी मनी लॉन्ड्रिंग का शब्द ने तूफान मचाया हुआ है। इन माफिया ने वसूली, जुआं आदि गलत कार्यों से बहुत सारा पैसा इकठ्टा कर लिया और इस गलत पैसों को सही तरीके से दिखाया। भारत में Money Laundering के केस सबसे ज्यादा 1990 के दशक में आये थे, जिसके बाद यह बहुत लम्बे समय तक विवादों में रहा था। जिसमे बहुत सारे दिगज्ज नेताओं के नाम भी सामने आये थे।
यह भी देखें >>Income tax toll free number: आयकर विभाग का टोल फ्री नंबर क्या है?
Money Laundering क्या है ?
Money Laundering को हिंदी भाषा में धन शोधन कहाँ जाता है, धन शोधन गैर – क़ानूनी माध्यम से धन के गलत सोर्स को छुपा लेते है। और फिर बहुत सारे गलत धन की उत्पत्ति करता है, मनी लॉन्ड्रिंग एक बड़ी आपराधिक गतिविधि है। गलत कामो से आय पैसो को गन्दा धन माना जाता है, इसलिए इसके पीछे लॉन्ड्रिंग शब्द को जोड़ दिया गया है। लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया काले धन को स्वच्छ दिखाने के लिए होती है।
मनी लॉन्ड्रिंग के धन को आपराधिक कार्यों जैसे नशीले पदार्थ, भ्रष्टाचार, ऑडिट और दूसरे कानूनी अपराधों से प्राप्त किया जाता है। इस काले धन को सफ़ेद बनाने के लिए बहुत सी कंपनियों में निवेश कर दिया जाता है, और बहुत बार बड़ी बड़ी कंपनी भी इनका पता नहीं लगा पाती है।
लाउंडर
लाउंडर वह व्यक्ति होता है, जो मनी लॉन्ड्रिंग के पैसे की धोखाधड़ी का कार्य करता है। लाउंडर गलत कामों से कमाए गए पैसों को वैध रूप बनाकर पैसों के असली मालिक तक पहुंचता है। ब्लैक मनी को वाइट या वैध करने के लिए अनेकों मार्ग का सामना करना पड़ता है, और यह तकनीकी काफी हद तक मुश्किल भी होती है।
Money Laundering के चरण
मनी लॉन्ड्रिंग तीन चरणों में पूरी होती है।
- प्लेसमेंट – इसमें ब्लैक मनी को बाजार में लेकर आया जाता है, उसके बाद लाउंडर गलत तरीके से कमाए गए पैसो को वित्तीय संस्थानों, बैंक, औपचारिक और अनौपचारिक संस्थानों में जमा करता है।
- लेयरिंग – दूसरे चरण में पैसे को छुपाने के लिए लेयरिंग होती है, इसके अंतर्गत लाउंडर अकाउंट की लेखा किताब में गड़बड़ी करने के बाद असली आय को छुपा दिया जाता है।
लाउंडर पैसे को निवेश दूसरे साधन जैसे – बॉन्ड, स्टॉक एवं ट्रैवेल चेक और विदेश में मौजूद बैंक खातों में जमा कर देता है। यह खाता ऐसे बैंक खातों में खोला जाता है, जो बैंक मनी लॉन्ड्रिंग के विरोध में सहयोग नहीं करते है। - एकीकरण – यह प्रक्रिया मनी लॉन्ड्रिंग का आखरी चरण होता है, इसमें लाउंडर विदेश में भेजे गए पैसो को वापस देश में लेकर आने का काम करता है। इस प्रकार के धन को सामान्यता किसी कंपनी में निवेश, अचल सम्पति की खरीद, लक्ज़री वस्तुएं खरीदकर वापिस ले आता है।
Money Laundering निवेश के अन्य तरीके
फर्जी ( शैल ) कंपनी
बहुत बार न्यूज़ के माध्यम से फ्रॉड कंपनियों के बारे में सुनते है, इन कंपनियों में किसी प्रकार की कोई पूंजी निवेश नहीं करनी होती है। और इन कंपनियों में कोई उत्पादन भी नहीं होता है।
बहुत बार इन कंपनियों को जमीनी स्तर पर कोई ढाँचा नहीं होता है, यह कंपनी सिर्फ कागजभर की होती है। इन फ्रॉड कंपनियों में ब्लैक मनी असली मालिक तक पहुँचता है, शैल कंपनी का तरीका Money Laundering के लिए सबसे प्रसिद्ध तरीका है।
प्रॉपर्टी में निवेश
बहुत बार ऐसा होता है, की किसी एकल व्यक्ति को सरकार जमीन कम दाम पर प्रदान करती है। परन्तु सरकार ऐसा किसी खास कारण से ही करती है, और इसी प्रकार का काम मनी लॉन्ड्रिंग का काम होता है।
इसमें भूमि, मकान, दुकान आदि को कम पैसों में कागजातों में दिखाया जाता है, परन्तु इनकी असल कीमत बहुत अधिक होती है।
बैंकों में पैसे जमा करना
पिछले कुछ सालों में यह काम काफी तेजी से हो रहा है, Money Laundering एक बहुत ही सरल और आसान तरीका है। मनी लॉन्ड्रिंग करने के लिए बहुत से लोग पैसो को इकठ्टा करके किसी दूसरे देश के बैंकों में जमा कर देते है।
यह काम ऐसे देशों में होता है, जहाँ दूसरे देश की सरकार को बैंक की जाँच करने का अधिकार प्राप्त न हो। इस प्रकार के बैंक खाते सेफ हेवन कहलाते है, मनी लॉन्ड्रिंग के लिए स्विज़रलैंड सबसे अच्छा विकल्प है।
यह देश अपने देश के बैंको में भारत के लोगों का काला धन जमा करता है, और इन बैंकों की भारत सरकार के द्वारा अभी तक कोई भी जाँच नहीं हो पायी है।
भारत में Money Laundering के लिए कानून
मनी लॉन्ड्रिंग के गैर कानूनी कामों पर रोकथाम लगाने के लिए PMLA एक्ट ( प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ) को बनाया गया है। इस कानून के अंतर्गत गलत सम्पति को जब्त करने का कानून भी है।
इसके अलावा इस एक्ट में सरकार अथवा सम्बंधित संस्था को अवैध रूप से कमाए गए पैसो और सम्पति को भी जब्त किया जाएगा। ED और CBI जैसी संस्था इन केसों की जाँच करता है।
PMLA ACT में सजा
यदि कोई व्यक्ति इन केसों में संदिग्ध होता है, या दोषी पाया जाता है तो उसको 3 साल से लेकर 7 साल की सजा होती है। इसके अतिरिक्त उसको जुर्माना भी भरना होता है, तथा क़ानूनी धाराओं को जोड़ने पर कुल 10 वर्ष की सजा हो सकती है।