जानिए सब्जियों और फलों के अलग-अलग रंग और स्वाद क्यों होते हैं ?

हल्दी का उपयोग भारतीय किचन में प्राचीन काल से होता आ रहा है, हल्दी का प्रयोग रसोईघर में खाना पकाने और धार्मिक कार्यों में तथा घरेलु चिकित्सा के उपचार में होता है। भारतीय पुराणों में हल्दी को एक चमत्कारिक द्रव्य बताया गया है

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Reported by Sheetal

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जानिए सब्जियों और फलों के अलग-अलग रंग और स्वाद – जब हम किसी डॉक्टर के पास या किसी पोषण विशेषज्ञ के पास जाते है, तो वो हमको विभिन्न रंगो और प्रकारों के फल सब्जियां खाने की सलाह प्रदान करते है। डॉक्टर के द्वारा रंगो का इंद्रधनुषी खाना खाने को इसलिए बोला जाता है, क्योंकि यह हमारे शरीर को उचित मात्रा में पोषक तत्व भी प्रदान करते है। और यह सिर्फ थाली में रखे दिखने में ही अच्छे नहीं लगते है, बल्कि यह खाने में स्वादिष्ट और भरपूर पोषण तत्वों वाला भोजन होता है।

छोटे पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थो में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को फाइटोन्यूट्रिएंट्स कहाँ जाता है। रंग और स्वाद का हर व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व होता है, हम अपने दैनिक भोजन में विभिन्न प्रकार के फलों और सब्जियों का उपयोग करते है। वही हम यह भी देखते है, टमाटर और गाजर लाल, हल्दी और पपीता पीला होता है। तो कहीं मूली एवं प्याज में से अजीब गंध आती है, और करेला स्वाद में तीखा होता है, तो आंवला कड़वा होता है।

इसी प्रकार से सभी सब्जियाँ में अलग अलग रंग और स्वाद होता है, और इन सब्जियों में अनेको पोषक तत्व पाए जाते है। आज हम आपको सब्जियों के विभिन्न रंगो स्वाद के बारे में जानकारी देने जा रहें है।

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जानिए सब्जियों और फलों के अलग-अलग रंग और स्वाद

लाल रंग (टमाटर, गाजर)

कुछ फल और सब्जियाँ कैरोटेनॉयड्स नमक फाइटोन्यूट्रिएंट की वजह से लाल रंग की होती है, कैरोटेनॉयड्स में लाइकोपीन, फ्लेवोन और क्वेरसेटिन आदि सबकुछ शामिल होता है। कैरोटेनॉयड्स टमाटर, सेब, चेरी, तरबूज, स्ट्रॉबेरी, लाल शिमला मिर्च में पाया जाता है, इन कैरोटेनॉयड्स को एंटीऑक्सीडेंट के रूप में जाना जाता है।

हम अपने घरों में रोज किसी न किसी रूप से टमाटर का प्रयोग करते है, टमाटर विश्व के सभी देशों में पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम सोलेनम लाइको पोर्सिकोन है, टमाटर की उत्पत्ति दक्षिण अमेरिका के एण्डीज क्षेत्र में हुई थी और सर्वप्रथम इसका उपयोग मेक्सिको में भोजन के रूप में हुआ था, अब यह विश्वभर में फ़ैल गया है। टमाटर घरों में रंग और स्वाद की वजह से सलाद और सब्जियों में उपयोग होता है।

टमाटर में अत्यधिक मात्रा में कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन सी पाया जाता है, टमाटर में लाल रंग की वजह से इसमें लाइकोपीन तत्व होता है। और स्वाद खट्टे होने के कारण साइट्रिक एसिड तथा मैलिक एसिड इसमें पाया जाता है।

पीला रंग ( हल्दी )

हल्दी का उपयोग भारतीय किचन में प्राचीन काल से होता आ रहा है, हल्दी का प्रयोग रसोईघर में खाना पकाने और धार्मिक कार्यों में तथा घरेलु चिकित्सा के उपचार में होता है। भारतीय पुराणों में हल्दी को एक चमत्कारिक द्रव्य बताया गया है, हल्दी अदरक की ही प्रजाति का एक पौधा है। जिसमे पौधे की जड़ो में हल्दी मिलती है, हल्दी का वैज्ञानिक नाम कुरकुमा डोमेस्टिक है।

हल्दी में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, तथा विटामिन A पाया जाता है, और हल्दी का पीला रंग कुरकुमिन के कारण होता है। हल्दी पाचन तंत्र की समस्या, गठिया, रक्त प्रवाह, बैक्टीरिया, हाई बीपी, एलडीएल आदि समस्या से भी निवारण दिलाती है।

पीले फलों और सब्जियों में कैरोटोनॉइड्स होता है, लेकिन इनमे ल्यूटिन, जैक्सैन्थिन, मैसो – ज़ेक्सैन्थिन, वायोला – जैंथिन और दूसरे फाइटोन्यूट्रिएंट्स पाए जाते है। यह सब – सेब, नाशपाती, केला, निम्बू और अनानास आदि में पाए जातें है।

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हरा रंग ( करेला )

हरे पत्तेदार सब्जियों में मुख्यतः आयरन, कैल्सियन, विटामिन सी और बी, आयरन, लौह तत्व आदि पाया जाता है। करेला एक ऐसी सब्जी है, जो अपने कड़वे स्वाद की वजह से बहुत कम लोगों को पसंद आती है।

करेले का वैज्ञानिक नाम मोमोदीका चारैंटिया है, करेले को एशिया और कैरेबियाई के क्षेत्रों में व्यापक रूपों से उगाया जाता है। कड़वा करेला आयुर्वेदिक गुणों की खान होता है, करेले में कॉपर, विटामिन बी, unsaturated फैटी एसिड होता है।

इसके साथ ही करेले में एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी बायोटिक आदि गुण भी होते है, करेला शरीर से खून की सफाई करता है। करेले का कड़वा होने का कारन उसके मेमोडिसाइट तत्व पाया जाता है।

गाय का दूध पीला और भैंस का सफ़ेद क्यों होता है ?

गाय के दूध में कैरेटीन प्रोटीन होता है, जिसकी वजह से यह पीले रंग का होता है। और भैंस के दूध में कैसीन होता है, जिसकी वजह से यह सफ़ेद होता है।

खीरे में कड़वाहट की वजह

भारतीय घरो में खीरा सलाद और फल के रूप में प्रयोग होता है, लेकिन कुछ खीरों में कड़वाहट होती है। खीरे में कड़वाहट का कारण कुकुर बीटेसिन तत्व पाया जाता है। खीरे में पानी की मात्रा अधिक होती है, जिसकी वजह से यह वजन कम करने में भी उपयोग होता है।

प्याज से गंध आने का कारण

प्याज वनस्पति है, इसका उपयोग सलाद और सब्जियों के चौंके में किया जाता है। जब प्याज को खाते है, तो बहुत ही गन्दी दुर्गन्ध मुँह से आती है। दुर्गन्ध का कारण एलिल मिथाइल सल्फाइड होता है, जो मुँह से दुर्गन्ध को देता है।

मिर्च तीखी क्यों होती है ?

मिर्च में एक अलग ही स्वाद होता है, जो एकदम तीखा होता है। मिर्च का तीखा होने का कारण कैप्सिसिन नमक कंपाउंड होता है।

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सब्जियों और फलों के अलग-अलग रंग और स्वाद

फल, सब्जी रंग व स्वाद
आंवले का तीखापनटैनिन
बादाम में कडवावटएमाइलेडिन
टमाटर का रंग लाललाइकोपीन
मिर्च का तीखापनकैप्सेसिन
पपीते का रंग लालकेरिक्जेन्थिन
गाजर का नारंगी रंगकैरोटीन
आलू का हरा रंगसोलेनिन
मिर्च का लाल रंगकैप्सेनथिन
गाजर का लाल रंगएंथोसायनिन
खीरे में कड़वाहटकुकुर बीटेसी
प्याज का पीला रंगक्वेरसेटिन
हल्दी का पीला रंगकुकुरमिन

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