इस बार 18 सितम्बर के दिन हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का व्रत होने वाला है और इस दिन भगवान शिव एवं पार्वती के नाम पर व्रत रखते है। इसके साथ ही अगर कोई शादीशुदा महिला इस दिन कुछ विशेष उपाय करता है तो वो दाम्पत्य जीवन की बहुत सी परेशानी से मुक्त होते है।
हरतालिका तीज के व्रत का इंतजार सभी शादीशुदा महिलाओ को रहता है। लेकिन यदि कुँवारी कन्या भी इस व्रत को करती है तो उसे अच्छा वर मिलता है। इस दिन व्रती को 24 घंटो तक निर्जला रहना पड़ता और रात्रि में जागकर भजन-कीर्तन करना होता है।
हरतालिका तीज व्रत की पूजा-विधि
- प्रातः जल्दी उठकर स्नान करना है।
- इसके बाद भगवान के समक्ष निर्जल व्रत का संकल्प लेना है और स्वास्थ्य अच्छा न होने पर फल खा सकते है।
- इसके बाद माता पार्वती को पूरी श्रद्धा से पूजन की सामग्री अर्पित करें।
- माता के सामने अपनी मनोकामना के पूरा होने की प्रार्थना करें।
- शादीशुदा महिला अपनी सास को सौभाग्य की सामग्री देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
- अपने व्रत का पारायण शिव-पार्वती के पूजन के साथ करें और इस दिन रात का जागरण काई अच्छा माना जाता है।
पूजन का समय
हरतालिका तीज व्रत 2024 में 6 सितंबर, शुक्रवार को है। पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 06:02 से 08:33 बजे तक और शाम को 06:33 से 08:24 बजे तक का है.
पूजा में ये मन्त्र जपना है
व्रत के दौरान अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए एक विशेष मन्त्र का जप करना होता है। इसके लिए 11 बार माला फेर सकते है। इस मन्त्र के लिए रुद्राक्ष की माला सर्वोत्तम रहेगी और पूरा श्रृंगार करने के बाद जप करें। इस जप के लिए साय का समय सबसे अच्छा है।
मन्त्र – ‘हे गौरीशंकर अर्धांगी, यथा त्वां शंकर प्रिया तथा माम कुरु कल्याणी, कान्ताकांता सुदुर्लभाम’.
पूजा की सामग्री
- घी, दीया, अगरबत्ती एवं धूप
- पान (2 या 5), कपास की बत्ती, कपूर
- सुपारी (2), दक्षिणा
- केले के फल, जल सहित कलश, आम एवं पान के पत्ते, एक चौकी
- केले के पत्ते, बेल के पत्ते, धतूरा एवं फूल, सफ़ेद मुकुट एवं फूल
- साबुत नारियल (4), शमी के पत्ते
- चन्दन, जेनऊ, फल, नए कपडे का टुकड़ा
- पूजा सामग्री को रखने वाली थाल
- काजल, कुमकुम, मेहन्दी, बिंदी, सिंदूर एवं चूड़ियाँ
- पैर की अँगूठी
- कंधी, कपडे एवं दूसरे वस्तुएं, आभूषण
- चौकी को ढँकने के लिए स्वच्छ कपडा (पीला, भगवा, लाल)
हरतालिका तीज से जुडी कथा
शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को मानसिक रूप से अपना पति मान लिया था किन्तु देवी के पिता ने उनके विवाह को भगवान विष्णु से करने का मन बना लिया था। इसके बाद पार्वती के सखियाँ उनको जबरदस्ती उस वन में ले गई जहाँ पर पार्वती जी ने शिवजी की प्राप्ति के लिए कठिन तपस्या की थी।
देवीपार्वती ने इस वन में निर्जला व्रत रखकर अपनी साधना की थी। भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि में माता पार्वती ने मिट्टी से शिवलिंग को बनाकर पूजन किया था। अंत में शिवजी ने देवी की पूजा के खुश होकर उनको पत्नी रूप में स्वीकारा था। देवी पार्वती को हरण करके वन में लेकर जाने की वजह से इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ा।
व्रत के दिन याद रखें योग्य बातें
- इस व्रत की पूजा को सिर्फ तृतीया तिथि में ही करना है। इस तिथि में पूजन को गोधली एवं प्रकोष काल में करना होता है और चतुर्थी तिथि के पूजन की मान्यता नहीं है। चतुर्थी में पारण कर सकते है।
- एक बार शादीशुदा महिला इस व्रत को जिस प्रकार से रखेगी उसे इसी प्रकार से इस व्रत को रखना होगा। व्रत के जो भी नियम ले रहे है उनको आगे भी पालन करना है।
- व्रत में गलती से भी न सोये और रात्रि जागरण करके शिवजी की पूजा करें।
- व्रती महिला पूरा श्रृंगार करें और श्रृंगार की सामग्री को शादीशुदा मिला को दान करें।