Carbon Dating: कार्बन डेटिंग या रेडियोकार्बन डेटिंग एक वैज्ञानिक विधि है जिससे करीबन 60,000 वर्ष से पुराने कार्बनिक पदार्थों की आयु का पता लगाया जाता है। यदि कभी किसी को किसी कार्बनिक पदार्थों की उम्र को लेकर कोई शंका होती है तो कार्बन डेटिंग के माध्यम से उसकी सटीक आयु निर्धारित की जाती है। तो आइए जानते हैं बताते की कार्बन डेटिंग क्या है? और यह किस काम के उपयोग में आता है।
कार्बन डेटिंग एक जीवित जीवों के ऊतकों में पाया जाता है। रेडियोकार्बन डेटिंग का का एक रेडियोधर्मी आइसोटोप है जिसकी आयु लगभग 5,730 वर्ष मानी जाती है। कार्बनिक पदार्थों की आयु तय करने की इस तकनीक का आविष्कार सन 1949 में शिकागो विश्वविद्यालय (अमेरिका) के विलियर्ड लिबी द्वारा किया गया था। रेडियोकार्बन डेटिंग का प्रयोग हड्डी, चमड़े, बाल, फर, सींग लकड़ी चारकोल जैसे कार्बनिक पदार्थों पर ही किया जा सकता है।
कार्बन डेटिंग क्या है?
जैसा की आप सभी जानते हैं धरती में जन्म लेने वाले हर व्यक्ति की उम्र उसके जन्म लेने वाले वर्ष से ही पता लगाई जाती है। लेकिन किसी भी वस्तु ,पौधों या किसी भी मृत जीव-जंतु की सही आयु अनुमान लगाना बहुत कठिन है। इस स्थति में कार्बन डेटिंग ही एक ऐसी विधि होती है। जिसकी मदद से किसी भी वस्तु जानवरों या जीवाश्म की उम्र का अंदाजा लगाया जाता है। कार्बन डेटिंग एक ऐसा तत्व है जिसका निर्माण प्रकृति में प्राकृतिक रूप से होता रहता है। कार्बन डेटिंग में कार्बन-14 का प्रयोग किया जाता और कार्बन 14 पूण रूप से अस्थाई तत्व है जो किसी भी जीव की मृत्यु हो जाने के बाद नष्ट होने लगती है।
कार्बन डेटिंग कैसा काम करता हैं?
कार्बन डेटिंग के माध्यम से लगभग 50 हजार साल पुरानी चीजों के बारे में पता लगाया जा सकता है तथा कार्बन डेटिंग किसी भी चीज में मौजूद कार्बनिक पदार्थों की आयु निर्धारित करने का काम करता है। यह पूरी तरह से विज्ञान पर आधारित होता है रेडियोकार्बन डेटिंग का प्रयोग का सिर्फ उस पदार्थ पर किया जाता है जो कभी जीवित था। कार्बन डेटिंग 50 हजार वर्ष से कम उम्र की चट्टानों के लिए काम करता है। इसके अलावा कार्बन डेटिंग वर्षो से वस्तुओं के इतिहास और अलग-अलग प्रजातियों विकास की प्रक्रिया को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
Carbon Dating के क्या उपयोग क्या हैं?
जब कोई पेड़ पौधे, जानवर या कोई जीवजंतु मर जाता है। तो इस स्थिति में इनका एक दूसरे से ऑक्सीजन और कार्बन लेना बंद हो जाता है तब इनमें मौजूद कार्बन-12 और कार्बन-14 के अनुपात में कुछ बदलाव आने लगता है। तो इस होने वाले बदलाब की जाँच और मापने के लिए कार्बन डेटिंग का उपयोग किया जाता है। और कार्बन डेटिंग का प्रयोग कार्बनिक पदार्थों की आयु का पता करने के लिए किया जाता है। इसके आलावा रेडियो कार्बन डेटिंग का इस्तेमाल कई सारी जगह पर किया जा सकता है जो आपको नीचे दी गई है।
- पुरातात्विक चीजों की खोज में
- लकड़ी और चारकोल
- हड्डी , चमड़े, बाल, और रक्त अवशेष की उम्र की गणना
- पीट और मिट्टी
- पुराने बर्तन जहां पर कार्बनिक अवशेष उपलब्ध हो
- शैल और कोरल या चिटिन के उम्र की गणना
- कुचले फल और कीड़े,दीवारों पर चित्रकारी जैसे कार्बनिक पदार्थों का उपयोग होता है।
Carbon Dating के माध्यम से पत्थर और धातु की डेटिंग नहीं की जा सकता है। लेकिन वर्तमान समय में रेडियोकार्बन डेटिंगके द्वारा बर्तनों की डेटिंग की जा सकती है। क्योंकि उनमें खाने के अवशेष और बर्तन को खूबसूरत बनाने के लिए उसमें लगे रंग जैसे कार्बनिक पदार्थ का उपयोग किया जाता है।
कार्बन डेटिंग की क्या प्रक्रिया है?
कार्बन डेटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जो वस्तु में मौजूद ‘कार्बन-14’ की मात्रा का अनुमान लगाकर कार्बन मौजूद सामग्री की आयु का पता लगा सकती है। कार्बन डेटिंग पुरातत्वविदों और जीवाश्म वैज्ञानियों के लिए काफी मददगार साबित हुई है। रेडियोकार्बन डेंटिग एक वैज्ञानिक तकनीक है। और कार्बन डेटिंग के माध्यम से पहली बार लकड़ी की आयु पता किया गया था तथा कार्बन डेटिंग वैज्ञानिकों द्वारा किसी नमूने की उम्र निर्धारित करने के लिए उपयोग की जाने वाली प्रक्रिया है। कार्बन डेटिंग कार्बनिक पदार्थों यानी जो वस्तुएँ कभी जीवित थी। उनकी आयु का पता लगाने की प्रयोग विधि है रेडियोकार्बन डेटिंग पुरानी कार्बनिक सामग्री की आयु निर्धारित करने के लिए सामग्री में कार्बन 14 की मात्रा का इस्तेमाल करती है।