सविंधान के अनुच्छेद – 1 में दर्ज “इंडिया दैट इज भारत” को बदलकर केवल भारत करने की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। इंडिया नाम के पक्ष में भी कई लोग तर्क दे रहे है तो वहीं भारत नाम के हित में भी कई लोग तर्क दे रहे है। भारत, इतिहास और संस्कृति से जोड़ कर देखा जा रहा है। पहले से ही संविधान में से इंडिया शब्द को हटाने पर जोर दिया जाता रहा है और अब यह मांग बढ़ती जा रही है। इस सम्बन्ध में अभी तक कोई फैसला है लिया गया है। तो चलिए जानते है इंडिया-भारत, जानें पौराणिक काल से कितने नामों से जाना जाता है हमारा देश
इंडिया-भारत, जानें पौराणिक काल से कितने नामों से जाना जाता है हमारा देश
पौराणिक काल से ही हमारे देश को अलग -अलग नामों से जाना जाता है। जैसे- जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया, लेकिन इन सभी में सबसे ज्यादा हमारे देश को ‘भारत’ नाम ही जाना जाता है। देश के नाम को लेकर सबसे अधिक धारणाएं और तर्क भारत नाम को लेकर ही है। जिस प्रकार भारतीय संस्कृति में हमे विविधता देखने को मिलती है वैसे ही देश के कई नाम अलग-अलग कालखंडो से देखने को मिलते है।
विभिन्न स्त्रोतों से पता चलता है कि विष्णु पुराण में समुन्द्र के उत्तर से लेकर हिमालय के दक्षिण तक भारत की सीमाएं निहित हैं। पुराण में यह भी लिखा है कि जब ऋषभदेव ने नग्न होकर गले में बांट बांधकर वन प्रस्थान किया तो अपने ज्येष्ठ पुत्र भरत को उत्तराधिकार दिया जिससे इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ गया था।
इंडिया नाम कैसे पड़ा ?
अंग्रेज जब हमारे देश में आये तो उन्होंने सिंधु घंटी को इंडस वैली नाम से सम्बोधित किया और उसी आधार पर हमारे प्यारे देश का नाम इंडिया रख दिया था। यह नाम इसलिए भी रखा गया क्योंकि भारत या हिंदुस्तान बोलने में उनको मुश्किल लगता था और इंडिया कहना में उनको को कठिनाई नहीं होती थी। तभी से भारत को इंडिया कहा गया।