चंद्रयान अपनी सफलता से कुछ कदम दूरी पर ही है और कुछ घंटो बाद ही इसरो अपने मिशन में कामयाब हो जायेगा। यदि इस मिशन के बजट की बात करें तो इसरो ने साल 2019 के अंत में इस मिशन के लिए 75 करोड़ रुपयों की शुरुआत बजट की माँग की थी। अब सभी आम और खास लोगो को 23 अगस्त की तारीख का इंतजार है चूँकि इसी दिन चंद्रयान 3 चन्द्रमा की सतह पर लैंडिंग करेगा।
अभी हर दिन इसरो चंद्रयान 3 द्वारा भेजी गई फोटो को शेयर करता आ रहा है। पिछले चंद्रयान मिशन की अपेक्षा ये मिशन काफी ज्यादा किफायती रहा है। मतलब पुराने चंद्रयान मिशन की तुलना में इस बार सबसे कम बजट लगा है।
- चंद्रयान 3 का कुल बजट 615 करोड़ रुपए है।
- रूस के लूना – 25 का कुल बजट 1600 करोड़ रुपए है।
- चंद्रयान 2 से कम बजट रहा है चंद्रयान 3 में।
मिशन शुरू होने में देरी हुई
इसरो के अनुसार चंद्रयान 3 मिशन का बजट 615 करोड़ रुपए निर्धारित हुआ है। चंद्रयान 3 मिशन को साल 2019 के चंद्रयान मिशन के फेल होने के बाद ही लॉन्च किया गया था। उस समय मिशन को 2021 में शुरू करने की योजना थी किन्तु कोरोना महामारी के कारण इसमें देरी हो गई। अब साल 2023 में 14 जुलाई के दिन चंद्रयान 3 को लॉन्च कर दिया गया। अब देशभर के लोगो चंद्रयान 3 के चन्द्रमा पर लैंडिंग का इन्तेज़ार है।
इसरो और नासा का बजट
इसरो के मुताबिक चंद्रयान 3 को बनाने का कुल बजट 615 करोड़ रुपए रहा है। चंद्रयान 3 के लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान एवं प्रपल्शन मॉड्यूल को बनाने का खर्च 250 करोड़ रुपए रहा है और यान की लॉन्चिंग में 365 करोड़ रुपए खर्च किये गये है। अमेरिका ने लूनर मिशन को 1960 में लॉन्च किया था और मिशन पर 25.8 अरब डॉलर का बजट खर्च किया था। ये कीमत रुपए में 14 लाख करोड़ रुपए है। इसरो के चंद्रयान 3 से तुलना करें तो नासा का मिशन 3,000 गुना अधिक है।
अवतार मूवी से तीन गुना कम खर्च
अब चंद्रयान 3 मिशन के अंतिम पड़ाव में बजट को लेकर बात साफ हो चुकी है लेकिन पहले इसका अनुमान लगाने पर अनुमान 615 करोड़ रुपए से ज्यादा होने की सम्भावना जताई गई थी। मिशन के बजट का अनुमान इसरो के भूतपूर्व चीफ के. सिवन ने कोरोना महामारी से पहले लगाया था। 2009 में आई हॉलीवुड की मूवी का कुल बजट आज के दिन में 1970 करोड़ रुपए है लेकिन चंद्रयान 3 का खर्च 615 करोड़ रुपए ही है। तो इसरो ने अवतार मूवी से 3 गुना कम पैसे खर्च किये।
चंद्रयान 2 के बजट को जाने
इससे पहले चंद्रयान 2 के बजट को जाने तो पूरी परियोजना पर 978 करोड़ रुपए का बजट लगा। इस बजट में से 603 करोड़ रुपए ओर्बिटर लैंडर, रोवर, नेविगेटर एवं ग्राउंड सपोर्ट नेटवर्क पर खर्च हुए। इसी प्रकार से 375 करोड़ रुपए के बजट को जियो स्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल पर खर्च किया गया।
मिशन में सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य
मिशन से जुड़े विज्ञानिको के अनुसार सर्वाधिक मुश्किल कार्य विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग करवाना है। विक्रम लैंडर अभी चन्द्रमा के काफी करीब आ चुका है। अब उसको उपर्युक्त स्थान खोजकर चन्द्रमा की सतह पर सही से लैंडिंग करनी है। अब पौने चार लाख किमी की दूरी से इस कार्य को सही से करना विज्ञानिको की टीम के लिए काफी जटिल है।
लैंडिंग के 15 मिनट काफी क्रिटिकल
23 अगस्त के दिन शाम के समय चंद्रयान 3 चन्द्रमा की सतह पर लैंड होने में 15 से 20 मिनट लेगा। ये 15 मिनट ही सबसे मुश्किल रहने वाले है। विक्रम लैंडर के पहिये चन्द्रमा पर देश के राष्ट्रीय चिन्ह ‘अशोक स्तम्भ’ और इसरो के लोगो को छाप छोड़ेंगे।