
देश में देवी माँ की कई स्वरूपों के कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है जिनकी अलग अलग महिमा और मान्यताएं है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की पहली पत्नी माता सती के अंग और आभूषण जिस जिस जगह पर गिरे वही शक्तिपीठ बन गए। वैसे तो 51 शक्तिपीठ होते है लेकिन तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ माने माने जाते है। चलिए जानते है भारत में कौन से शक्ति पीठ और 51 शक्ति पीठ हैं।

देवी के 52 शक्तिपीठों की पूरी लिस्ट
- मणिकर्णिका घाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
- माता ललिता देवी शक्तिपीठ, प्रयागराज
- रामगिरी, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश
- उमा शक्तिपीठ (कात्यायनी शक्तिपीठ), वृंदावन
- देवी पाटन मंदिर, बलरामपुर
- हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ, मध्य प्रदेश
- शोणदेव नर्मता शक्तिपीठ, अमरकंटक, मध्यप्रदेश
- नैना देवी मंदिर, बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश
- ज्वाला जी शक्तिपीठ, कांगड़ा, हिमाचल
- त्रिपुरमालिनी माता शक्तिपीठ,जालंधर, पंजाब
- महामाया शक्तिपीठ, अमरनाथ के पहलगांव, कश्मीर
- माता सावित्री का शक्तिपीठ, कुरुक्षेत्र, हरियाण
- मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर, कुरुक्षेत्र, हरियाणा
- मणिबंध शक्तिपीठ, अजमेर के पुष्कर में
- बिरात, मां अंबिका का शक्तिपीठ राजस्थान
- अंबाजी मंदिर शक्तिपीठ- गुजरात
- मां चंद्रभागा शक्तिपीठ, जूनागढ़, गुजरात
- माता के भ्रामरी स्वरूप का शक्तिपीठ, महाराष्ट्र
- माताबाढ़ी पर्वत शिखर शक्तिपीठ, त्रिपुरा
- देवी कपालिनी का मंदिर, पूर्व मेदिनीपुर जिला, पश्चिम बंगाल
- माता देवी कुमारी शक्तिपीठ, रत्नावली, बंगाल
- माता विमला का शक्तिपीठ, मुर्शीदाबाद, बंगाल
- भ्रामरी देवी शक्तिपीठ जलपाइगुड़ी, बंगाल
- बहुला देवी शक्तिपीठ- वर्धमान, बंगाल
- मंगल चंद्रिका माता शक्तिपीठ, वर्धमान, बंगाल
- मां महिषमर्दिनी का शक्तिपीठ, वक्रेश्वर, पश्चिम बंगाल
- नलहाटी शक्तिपीठ, बीरभूम, बंगाल
- फुल्लारा देवी शक्तिपीठ, अट्टहास, पश्चिम बंगाल
- नंदीपुर शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल
- युगाधा शक्तिपीठ- वर्धमान, बंगाल
- कलिका देवी शक्तिपीठ, बंगाल
- कांची देवगर्भ शक्तिपीठ, कांची, पश्चिम बंगाल
- भद्रकाली शक्तिपीठ, तमिलनाडु
- शुचि शक्तिपीठ, कन्याकुमारी, तमिलनाडु
- विमला देवी शक्तिपीठ, उत्कल, उड़ीसा
- सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ, आंध्र प्रदेश
- श्रीशैलम शक्तिपीठ, कुर्नूर, आंध्र प्रदेश
- कर्नाट शक्तिपीठ, कर्नाटक
- कामाख्या शक्तपीठ, गुवाहाटी, असम
- . मिथिला शक्तिपीठ, – भारत नेपाल सीमा
- चट्टल भवानी शक्तिपीठ, बांग्लादेश
- सुगंधा शक्तिपीठ, बांग्लादेश
- जयंती शक्तिपीठ, बांग्लादेश
- श्रीशैल महालक्ष्मी, बांग्लादेश
- यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ, बांग्लादेश
- इन्द्राक्षी शक्तिपीठ, श्रीलंका
- गुहेश्वरी शक्तिपीठ, नेपाल
- आद्या शक्तिपीठ, नेपाल
- दंतकाली शक्तिपीठ- नेपाल
- मनसा शक्तिपीठ, तिब्बत
- हिंगुला शक्तिपीठ, पाकिस्तान
52 शक्तिपीठ बनने के पीछे का कारण
देवी के प्रसिद्ध और और पावन मंदिरो में माता सती के 52 शक्तिपीठ भी शामिल है। इन शक्तिपीठ के अस्तित्व में आने के पीछे एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार भगवान शिव जी की पहली पत्नी माता सती ने अपने पिताजी राजा दक्ष की अनुमति के बिना भोलेनाथ से विवाह किया था। जिस के बाद राजा दक्ष ने एक विराट यज्ञ का आयोजन किया था जिसमे उन्होंने माता सती और भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया था। माता सती बिना निमंत्रण के यज्ञ में पहुंच गयी जबकि भोलेनाथ ने भी माता को वहाँ जाने मना कर दी थी। माता सती को बिना आमंत्रण के यज्ञ देखकर उनके पिताजी ने माता सती के सामने उनके पति को अपशब्द कहे और उनका घनिष्ठ अपमान किया। जिसको माता सती बर्दाश नहीं कर पायी और यज्ञ के पावन हवन कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। भोलेनाथ पत्नी के वियोग को बर्दाश नहीं कर पाए और माता सती के शव को लेकर तांडव करने लगे जिसके फल स्वरुप ब्रह्मांड पर प्रलय आने लगी, जिसको रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाया जिससे माता सती का शरीर टुकड़ो में विभाजित हो गया। माता सती के अंग और आभूषण 52 टुकड़ो में धरती पर अलग अलग जगह पर गिरे, जो शक्तिपीठ बन गए।